गजल
सच कहा था तो ये दुनिया दुश्मन बनी
झूठ लबो पे सजाने का हुनर आ गया
दुनिया वैसी नही जैसी किताबों में है
सबको मुखोटे चढ़ाने का हुनर आ गया
कड़वी बाते वो जब से कहने लगा
हमको जहर भी पचाने का हुनर आ गया
घर की चार दीवारी में नाकाम थे
दुनिया देखी कमाने का हुनर आ गया
इस बाजार से तुमने सीखा बहुत
खोटा सिक्का चलाने का हुनर आ गया
मैं काबिल हूँ तब वो समझा मुझे
जब मक्खन लगाने का हुनर आ गया
शालिनी शर्मा
दिल की बातें छुपाने का हुनर आ गयासबको अपना बनाने का हुनर आ गया
सच कहा था तो ये दुनिया दुश्मन बनी
झूठ लबो पे सजाने का हुनर आ गया
दुनिया वैसी नही जैसी किताबों में है
सबको मुखोटे चढ़ाने का हुनर आ गया
कड़वी बाते वो जब से कहने लगा
हमको जहर भी पचाने का हुनर आ गया
घर की चार दीवारी में नाकाम थे
दुनिया देखी कमाने का हुनर आ गया
इस बाजार से तुमने सीखा बहुत
खोटा सिक्का चलाने का हुनर आ गया
मैं काबिल हूँ तब वो समझा मुझे
जब मक्खन लगाने का हुनर आ गया
शालिनी शर्मा
Comments