नैया और समुन्दर का रिश्ता

नैया और समुन्दर की ये प्रीत अनोखी लगती है
नैया आज समुन्दर से कुछ रूठी रूठी लगती है
मना कर दिया सागर ने
नैया को सैर कराने से
हिचक रही हैं ऊंची लहरे
नैया को ले जाने से
तूफानो की हलचल है ड़र की अनुभूति लगती है
नैया आज - - - -
 उगते सूरज के संग जाना
 और डूबते संग आना
नैया बीच समुन्दर है
पीली परछायी का छाना
चित्रकार अदृश्य मगर तस्वीर अनूठी लगती है
नैया आज - - - - :
पीठ लाद वो नैया को
आराम से सैर कराता है
शान्त और ठहरा सागर ही
हर नैया को भाता है
सागर की नैया से यारी सच्ची झूठी लगती है
नैया आज- - - - - -
                                शालिनी शर्मा



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