हम छूने को शिखर बेकाबू हो रहे हैं
पर छाले पैरो के चलने में रो रहे हैं
अन्जान रास्ते दुश्वारी बो रहे हैं
हमराही साथ के सब थक के सो रहे हैं
शालिनी शर्मा
पर छाले पैरो के चलने में रो रहे हैं
अन्जान रास्ते दुश्वारी बो रहे हैं
हमराही साथ के सब थक के सो रहे हैं
शालिनी शर्मा
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