pita

                             पिता 
तुम सर्द ठिठुरती रातों में कम्बल मुझे उढ़ाते हो 
घर की हो  दीवार जो तूंफानों से मुझे बचाते हो 
घर की वो बिजली हो जो अंधियारे दूर भगाते हो 
भोजन का वो थाल हो जो  भूख मेरी मिटवाते  हो 
आशीष हाँथ रख कर सिर पर मार्ग सही दिखलाते हो 
आँख में आंसू देख मेरी तुम द्रवित,,करुण हो जाते हो 
कंटक ,शूल मेरे जीवन के हंस कर दूर हटाते हो 
मेरी खातिर जीवन भर कितने तुम कष्ट उठाते हो 
जीवन का आधार तुम्ही हो ,नींव तुम्ही ,बुनियाद तुम्ही
हे पिता तुम्ही निःस्वार्थ प्रीत बस जीवन भर दिखलाते हो
                                                      शालिनी शर्मा

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