इंटरनेट धन्यवाद फोटोग्राफ के लिये
रुक जाओ आंधियो ना तबाही बन के आओ
कमजोर नीँव है ना मकानो को हिलाओ
ऊँची इमारतों में है शीशों की खिड़कियां
नीचे हैं बस्तियां ,ना शमशान तुम बनाओ
जो गिर रहे हैं उनको तुम और ना गिराओ
किस्मत में ठोकरे हैं हे राम रहम खाओ
अंधियारे बढ़ रहे हैं रोशनी दिखाओ
भटकेगें कब तलक यूंही, कुछ मंजिले दिखाओ
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