ग़जल
नारी
मेरी जिन्दगी अन्तहीन कष्टों से भरी कहानी है
आंसू की हर पृष्ठ पे जिसके ,कोई ना कोई निशानी है
बर्फ जमी मन के हिमालय में, तन मरूथल वीरानापन
सूखी नदियां अरमानो की ना तरंग, ना पानी है
तूफानों का रोज मेरे घर में रहता आना जाना
रोज नीर हँस कर पी जाती अँखिया भी तूफानी हैं
एक ही हसरत है बाकी , दुनिया से नाता तोड़ लिया
उसकी एक हँसी की ख्वाइश में अब उम्र बितानी है
रंग बदलती दुनिया ने सब रंग मेरे बेरंग किये
मेहंदी हूँ अब हाथ ,हथेली बस औरो की सजानी है
नारी हूँ मैं भाग्य मेरा बचपन में ही लिख डाला है
जिस घर में डोली आयी उस घर से अर्थी जानी है
शालिनी शर्मा
1 . काश बेटियां इस फोटो की तरह ही सदा खूबसूरत ,मस्त ,बिन्दास रहें।
2. अपनी जिन्दगी को स्त्रियां सवाँर सके ,नयी पहचान बना सके तो उन्हें शिक्षित कीजिये ,जागरूक कीजिये।
औरतो और लड़कियों के विषय में अपनी सोच बदलिये। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की सोच को आगे बढ़ाइये।
उन्हें रोकिये मत आगे बढ़ने दीजिये।
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