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नयनों से नीर को बहने ही दीजिये
ये जलजला है हमको सहने भी दीजिये
दिल का गुबार कुछ तो कम होगा सुबक कर
रो रो के दिल की बात कहने तो दीजिये
शालिनी शर्मा
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