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ए जिन्दगी ना तुझको हम हैरान छोड़ेगें
देंगे सभी इम्तहान , ना इम्तहान छोड़ेगें
हम हैं पुरू, ना डर के हम मैदान छोड़ेगें
महफ़िल में सिकन्दर की ना अभिमान छोड़ेगें
हर दिल अजीज होंगे ,ये पहचान छोड़ेगें
दुश्मन भी रोयेगा ,जब हम जहान छोड़ेगें शालिनी शर्मा
" जिंदगी का अन्तर बदला ना जायेगा
किस्मत में जिसकी जो है ,वो, वो ही पायेगा
जो है तेरा वो हरपल तेरा ही रहेगा
जो नही मिला मुझे मिलेगा ,दिन ये आयेगा"
"यहां किसी को बिन मांगे ही, इतना कुछ मिल जाता है देंगे सभी इम्तहान , ना इम्तहान छोड़ेगें
हम हैं पुरू, ना डर के हम मैदान छोड़ेगें
महफ़िल में सिकन्दर की ना अभिमान छोड़ेगें
हर दिल अजीज होंगे ,ये पहचान छोड़ेगें
दुश्मन भी रोयेगा ,जब हम जहान छोड़ेगें शालिनी शर्मा
" जिंदगी का अन्तर बदला ना जायेगा
किस्मत में जिसकी जो है ,वो, वो ही पायेगा
जो है तेरा वो हरपल तेरा ही रहेगा
जो नही मिला मुझे मिलेगा ,दिन ये आयेगा"
और किसी का सारा जीवन हवन कुंड बन जाता है
किसी गरीब को नही मयस्सर रोटी भी दो जून की
और किसी का कुत्ता भी यहाँ काजू ,किशमिश खाता है"
शालिनी शर्मा
"मालिक उन्हें जीवन की खुशियां तमाम दे
आजीवका के मौके दे, शिक्षा और काम दे
ईंटे सजा के घर मेरा जिसने खड़ा किया
उसका भी अपना घर बने ,उसको इनाम दे
शालिनी शर्मा
नमस्कार दोस्तों
जीवन का ,समाज का ,विचारो का ,सोचने के ढंग का अन्तर हम कम नही कर सकते क्योंकि सबको समान करना असम्भव है ,नामुमकिन है i पर हाँ हम किसी दुःखी की मदद करके ,किसी निसहाय की सहायता करके मानवता के उच्च आदर्शो को स्थापित कर सकते हैं lआज समाज नैतिक मूल्यों की तिलांजलि देता जा रहा है lकरुणा ,दया ,सहयोग ,आपसी समझ ,अहसास सब खत्म हो गये हैं lपढ़ा लिखा समाज इनसब बातों को जानता है ,इनकी बातें भी करता है पर अपनाता बहुत कम है देश हमारा है ,समाज हमारा है तो हमारे कुछ कर्तव्य हैं जिन्हें हमें पूरा करना चाहिये l
अगर आप सहमत हैं तो अपनी सहमति दीजियेगा आपका प्रोत्साहन मेरा सम्बल हैlआपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है l
धन्यवाद
शालिनी शर्मा
नमस्कार दोस्तों
जीवन का ,समाज का ,विचारो का ,सोचने के ढंग का अन्तर हम कम नही कर सकते क्योंकि सबको समान करना असम्भव है ,नामुमकिन है i पर हाँ हम किसी दुःखी की मदद करके ,किसी निसहाय की सहायता करके मानवता के उच्च आदर्शो को स्थापित कर सकते हैं lआज समाज नैतिक मूल्यों की तिलांजलि देता जा रहा है lकरुणा ,दया ,सहयोग ,आपसी समझ ,अहसास सब खत्म हो गये हैं lपढ़ा लिखा समाज इनसब बातों को जानता है ,इनकी बातें भी करता है पर अपनाता बहुत कम है देश हमारा है ,समाज हमारा है तो हमारे कुछ कर्तव्य हैं जिन्हें हमें पूरा करना चाहिये l
अगर आप सहमत हैं तो अपनी सहमति दीजियेगा आपका प्रोत्साहन मेरा सम्बल हैlआपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है l
धन्यवाद
शालिनी शर्मा
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