"रोटी को वो तरस रहा जो देता अन्न जहान को
कर्जे से हो निराश ,लटक दे रहा वो जान को
जिनको भरम है देश की हालत सँवर गयी
वो जाके बस एक बार देख लें किसान को "
शालिनी शर्मा
"जिन्दगी के सफर की खतम है गली
मौत आनी थी आयी वो कब है टली
जीते जी जो ना बोला, ना आया नजर
पर दी आवाज तब जब चिता है जली "
शालिनी शर्मा <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-3877412461391743"
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"आँधियां धूल की हैं भयानक बड़ी
उजड़ी सब बस्तियां थी जहाँ झोपडी
कैसे करते यंकी खुशनुमा धूप है
बदलियों की गरज फिर सुनाई पड़ी "
शालिनी शर्मा
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