हास्य मुक्तक

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हास्य हिन्दी  मुक्तक 
जिसको मिली मैं उसका जा तू हाल देख ले 
मेरी वजह से जो बना कंकाल देख ले 
खुशियां लुटा वो सारी जैसे हो गया मरीज 
पंगे से पहले तू वो अस्पताल देख ले 



हमने लोटाये प्रेमपत्र कई कुंवारो के 
दिल के मकां में द्वार क्योंकि संस्कारो के 
हम सात फेरे वाले को बस नाच नचाते 
पर्चे निरस्त अन्य सब उम्मीदवारों के  


कब सुधरेंगे हालात  बेरजगारो के 
बेचारो ने भर डाले फार्म कई हजारो के 
फिरते हैं डिग्रियां लिये  पर नोकरी नही 
फिर क्यों निरक्षर ख्वाब देखे रोजगारो के 

       आभार सहित ये भी गर ना मिले तो क्या हो बस इतना ही सोच
लाइन में तो खड़े खड़े बूढ़े हो गये आडवाणी 
पर लाइन को तोड़ साहब ने हासिल की एप्रोच  


मीठी दुआ सलाम तब नमकीन हो गयी 
मुस्कान अजनबी और भावहीन हो गयी 
घर हो गया भारत ,बने बच्चे वहाँ कश्मीर 
माँ बाप बीच जँहा दीवार चीन हो गयी     
                                   शालिनी शर्मा 😎😎😎😎😎
नमस्कार दोस्तों 
        प्रस्तुत हैं कुछ हास्य कविताएं आशा है हमेशा की तरह आपका समर्थन अवश्य मिलेगा साथ चलते रहियेगा और होंसला बढ़ाते रहियेगा।     
             आभार हृदय की गहराइयों से 👧😋😋😋😋





   















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