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कैसे हो आतँक का अंत यहाँ श्री राम
जब स्वार्थी चाहते नही इस पर लगे विराम
राजनीति ने कर दिया देश का बंटाधार
नेताओं की बात सब होती है बेकार
गजल
आओ,कुछ हम तकरार करे
रूठे,और फिर मनुहार करे
मुर्दा रिश्ता बदबू देगा
इसका अन्तिम संस्कार करे
मैं छोड़े अपनी अपनी
हम होने के आसार करे
कांटे बोने से होगा क्या
ना राहो को दुश्वार करे
बगिया खुश्बू ही देती है
इन फूलो से श्रंगार करे
सम्मान किसी का आहत हो
ना एेसा हम व्यवहार करे
शालिनी शर्मा
जब स्वार्थी चाहते नही इस पर लगे विराम
राजनीति ने कर दिया देश का बंटाधार
नेताओं की बात सब होती है बेकार
गजल
आओ,कुछ हम तकरार करे
रूठे,और फिर मनुहार करे
मुर्दा रिश्ता बदबू देगा
इसका अन्तिम संस्कार करे
मैं छोड़े अपनी अपनी
हम होने के आसार करे
कांटे बोने से होगा क्या
ना राहो को दुश्वार करे
बगिया खुश्बू ही देती है
इन फूलो से श्रंगार करे
सम्मान किसी का आहत हो
ना एेसा हम व्यवहार करे
शालिनी शर्मा
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