फूल

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HINDI POEMS
फूल आज महफूज नही है आंधी और तूफानो से
बच्चो बचकर रहना हरदम गैरो और अन्जानो से
नर पिशाच की गन्दी नजरो की पहचान जरूरी है
सावधान हो जाओ इन्सा रूपी इन शैतानो से
                             शालिनी शर्मा
कहने की तो उमर गयी
बस अब तो सुनना बाकी है

बूढ़े सभी दरख्तो का
जड़ से उखड़ना बाकी है

कोई पूछ नही उनकी
एकान्त से मरना बाकी है

किसे फिकर है सुध किसको
सावन से ड़रना बाकी है

सामान पुराना समझ
चमन से बाहर करना बाकी है

जर्जर काया ठूंठ काठ का
चिता सा सजना बाकी है
                    शालिनी शर्मा


   




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