भगदड़


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HINDI POEMS
भगदड़ 
जगह जगह कोहराम है जगह जगह कोहराम 
भाग रहा है आदमी लुटा चैन आराम 
दोड़ दौड़ के खोज रहे वो जिसका नहीं है मोल 
दुनिया से सबको सदा जाना है गुमनाम 

भगदड़ अफवाह से मची कुचल गए कई लोग 
साथ छोड़ कर जो गया देकर गया वियोग 

अफवाहों का दौर है अफवाह है इक आग 
बदहवास सा आदमी भागे भागम भाग 

अपनी हर होशियारी को भूल के पीछे भागे 
हम मूर्खो के पीछे हैं मूर्ख हमारे आगे 
                                                           शालिनी शर्मा 



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