HINDI
POEMS
आजा तू एक बार अब तो ख्वाब में
बिन तेरे जिन्दगानी डुबा दी शराब में
हम देखते रहे आफिस के गेट को
खाली है सीट तेरी मजा नही है जाब में
छोड़ी है जब से सर्विस चर्चा तेरी ही है
गिना जाने लगा है काम मेरा खराब में
जब से गयी है तू खामोश है मोबाइल
करती नही है मैसेज तू कोई जवाब में
खिचड़ी ही लंच में खाता हूं अब अकेले
कोई स्वाद ही नही चिकन और कबाब में
झगड़ा था बास से दो चार उसको कहती
क्यों दे दिया रिजाइन आकर दवाब में
शालिनी शर्मा
आजा तू एक बार अब तो ख्वाब में
बिन तेरे जिन्दगानी डुबा दी शराब में
हम देखते रहे आफिस के गेट को
खाली है सीट तेरी मजा नही है जाब में
छोड़ी है जब से सर्विस चर्चा तेरी ही है
गिना जाने लगा है काम मेरा खराब में
जब से गयी है तू खामोश है मोबाइल
करती नही है मैसेज तू कोई जवाब में
खिचड़ी ही लंच में खाता हूं अब अकेले
कोई स्वाद ही नही चिकन और कबाब में
झगड़ा था बास से दो चार उसको कहती
क्यों दे दिया रिजाइन आकर दवाब में
शालिनी शर्मा
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