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HINDI
POEMS
माँ
एक अलोकिक आभा सी जीवन रोशन कर जाती है
दिव्य आत्मा सी पावन वो दीप पुन्ज बन आती है
घोर निराशा के पल में देती सम्बल की छाया वो
है शीतल मन्द फुंहार मरूस्थल मन सिंचित कर जाती है
शालिनी शर्मा
माँ
एक अलोकिक आभा सी जीवन रोशन कर जाती है
दिव्य आत्मा सी पावन वो दीप पुन्ज बन आती है
घोर निराशा के पल में देती सम्बल की छाया वो
है शीतल मन्द फुंहार मरूस्थल मन सिंचित कर जाती है
शालिनी शर्मा
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