गज़ल ऐसी अना भी क्या

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HINDI POEMS

अपनी नजर से गिरकर वो फिर  ना उठ सका
एेसी अना भी क्या,ना जो थोड़ा सा झुक सका

सोहबत बुरी थी उसमें भी उसका असर हुआ
जितनी थी बुरी लत लगी,ना उनसे छुट सका

चलती सड़क पे भीड़ में कोई मर रहा था शायद
वो भी था भीड़ में ,मदद को पर  ना रूक सका

गर्दिश में  मर गया  वो भूख से  तड़प  तड़प
पर उसके लिये अर्थी और कफन ना जुट सका

आवाज दी  चाहा के वो रूक जाये एक बार
पर सुन के भी आवाज तनिक वो ना मुड़ सका

एक बार गांठ पड़ गई जब रिश्तों में अपने
चाहा भी पर ना पहले सा रिश्ता वो जुड़ सका
                              शालिनी शर्मा

मेरे लब पर अब तक ये दुआ है
खुश  रहे  तू  वहां तू   जहां   है

अफवाहो का बाजार गरम है
सुन क्या तूने भी कुछ सुना है

पैरो के नीचे दुनिया रखता  है
इसीलिये उसमे इतनी अना  है

अब किसको परवाह फूलो की
कब से उजड़ा हुआ गुलिस्तां है

सभी ने पूछा हाले दिल मेरा
पर तू ना जाने क्यो खफा है

हर जख्म सीने में छुपा लेता है
वो जाने किस मिट्टी का बना है

उसमें प्यार,दुलार की गर्मी है
स्वैटर धूप में ये अम्मा ने बुना है

                     शालिनी शर्मा

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