हिन्दी कविता
ये देश बड़ा सतरंगी है
ये देश बड़ा सतरंगी है
फूलो से इसे सजायेगें
यहां तितली रंग बिरंगी हैं
तितली छू कर दिखलायेगें
टिड्ड़ो से फसल बचानी है
ये कुतर कुतर खा जायेगें
प्रीत के खलियानो में ये
नफरत शोले भड़कायेगें
कुछ बरसाती कीड़े हैं
जिनको ये रंग नही भाते
ना हंसती कली सुहाती है
ना रास पुष्प ही आते हैं
ये समृध्दि के घने हरेे जगंल
सब राख बना देगें
जिनको पसंद हो सूखा
कैसे फसलो को पानी देगें
कमल हमेशा कींचड़ में
खिलते हैं और मुस्काते हैं
कांटो के संग रहकर भी
बगिया गुलाब महकाते हैं
चमन,खेत ,खलियानो को
कीड़ो से शीघ्र बचाना है
अच्छा कर उपचार
ओषधि को भीतर पहुचाना है
उन्नत किस्मो को पाना है तो
अच्छे बीजो को लाओ
खाद,हवा,पानी,प्रकाश सब
शुद्ध धरा में पहुचाओ
है फरियाद वतन की ये
बोये केवल खुशहाली
फसलो पे ना पड़े बिगड़ते
मोसम की छाया काली
शालिनी शर्मा
प्रीत के खलियानो में ये
नफरत शोले भड़कायेगें
कुछ बरसाती कीड़े हैं
जिनको ये रंग नही भाते
ना हंसती कली सुहाती है
ना रास पुष्प ही आते हैं
ये समृध्दि के घने हरेे जगंल
सब राख बना देगें
जिनको पसंद हो सूखा
कैसे फसलो को पानी देगें
कमल हमेशा कींचड़ में
खिलते हैं और मुस्काते हैं
कांटो के संग रहकर भी
बगिया गुलाब महकाते हैं
चमन,खेत ,खलियानो को
कीड़ो से शीघ्र बचाना है
अच्छा कर उपचार
ओषधि को भीतर पहुचाना है
उन्नत किस्मो को पाना है तो
अच्छे बीजो को लाओ
खाद,हवा,पानी,प्रकाश सब
शुद्ध धरा में पहुचाओ
है फरियाद वतन की ये
बोये केवल खुशहाली
फसलो पे ना पड़े बिगड़ते
मोसम की छाया काली
शालिनी शर्मा
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