गजल



HINDI POEMS
गम  किसी  का  बेचना अच्छा  नही
भूखे   बच्चे   देखना   अच्छा   नही

इनको भी भर पेट कुछ खाने तो दो
व्यर्थ कर अन्न  फेकना अच्छा  नही

जिन्दगी को  दो  घड़ी  हंसने  तो दो
बम  घरो  पर  फेंकना  अच्छा  नही

रश्मियां  सूरज  की  देती  हैं  सलाह
दिन  चढ़े  तक  लेटना  अच्छा  नही

जिसकी  बातें  तीर  की  भांति  चुभे
व्यक्ति  ऐसा   झेलना  अच्छा   नही

सुर ना भाये जो किसी को भी जरा
राग    ऐसा   छेड़ना   अच्छा   नही
                         शालिनी शर्मा
गजल 
रोज  मरते  हैं  यहाँ   KYA JINDGI  बढ़  जायेगी
जिनकी किस्मत भूख है बस, क्या HANSI बढ़ जायेगी

थी  बड़ी   दुश्वारिया  और  जिन्दगी  गमगीन  थी
 सुन  तेरा  ये  दर्द  आँखो  की  नमी  बढ़ जायेगी

जब  शुरू  कर ही  दिया  है संग  सबके  ये  सफर
हंसते ,  मुस्काते  चलो  तो   ताजगी  बढ़  जायेगी

तुम भी नगमें कुछ सुनाओ हम भी छे़डे सुर नये
कुछ नये  नग्मो  को सुन  संजीदगी बढ़  जायेगी

रात  की  खामोशियों  में  चाँद  आवारा   दिखा
जब   ढ़लेगी  रात  तब  आवारगी  बढ़  जायेगी

जिनकी  किस्मत में अन्धेरे  ही  अन्धेरे हो  सदा
क्या सड़क की बिजलियों से रोशनी बढ़  जायेगी

चन्द   साँसे  लेके   फिरते   हैं , सदा  ये   सोचते
मोत  को  देकर  दगा  ये  जिन्दगी  बढ़   जायेगी

हंसते  बच्चो  के  जरा  संग  आप  भी   मुस्काइये
उनसे मिलकर  संग हंसकर कुछ हंसी बढ़ जायेगी


                                        शालिनी शर्मा

फूल भी जब  हमें  जख्म  देने  लगे
कांटें  तब  तब   हमें  राह  देने  लगे

आपदाओं ने धूमिल शहर जब किये
तब  शहर  के  शहर  बदबू  देने लगे

देखकर प्रकृति का कहर हर  जगह
सांत्वना  चाँद   तारे   भी  देने   लगे

चीखें मलबो के नीचे  हैं  दबने  लगी
कोई  बचा लो  दुहाई   वो  देने  लगे

अफरातफरी के माहोल में सब जुदा
बच्चे  मांओं  को  आवाज  देने  लगे

कैसा था ये शहर पल में शवग्रह हुआ
लोग अन्जान को भी अग्नि देने  लगे

जो  मददगार  बन के, थे  आये  वहाँ
लोग  मन  से  दुआँ  उनको  देने लगे

                         शालिनी शर्मा

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