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रमणीय मनलुभावन मेरा प्रदेश है
सबसे अलग,अनोखा,भिन्न है विशेष है
सबसे विशिष्ट है ये विस्तृत विशाल है
भारत की आत्मा ये उत्तर प्रदेश है
नेतृत्व देश का यहीं से करते मोदी जी
चीफ मिनिस्टर यहाँ के सन्त योगी जी
इक बिटिया माया ने बादलपुर सजा दिया
कानपुर से है कवि सुनील जोगी जी
गीत अलीगढ़ में नीरज के गूंजते
यश भारती से विष्णु को लोग पूजते
सूर्योदय की किरण सा नोएडा़ चमकता
राहुल अमेठी में स्वछन्द घूमते
सैफई सा है मुलायम,मित्र है इटावा सा
बरसाने सा है नाजुक,स्नेही यशोदा सा
श्वेत ताज सा है इसका रंग चमकदार
गोकुल भी वृन्दावन भी जैसे रूप राधा का
यमुना नदी सा निर्झर,झांसी सा वीर है
मन लखनवी नवाबी,काशी शरीर है
नटखट है कान्हा सा ये,सौम्य राम सा
मथुरा,अयोध्या पावन संगम का नीर है
ये शिष्य एकलव्य ,हरिशचन्द्र सत्य है
इतिहास यहाँ हस्तिनापुर का तो मस्त है
इक बुलन्दद्वार है फतेहपुर सीकरी
मेरठ में मंगल पान्डे आजादी समस्त है
शालिनी शर्मा
पतझड़ है सूखे पत्तो सी झड़ती है जिन्दगी
रोती भी है हंसती भी है लड़ती है जिन्दगी
उलझन समेटती है सुलझती उलझती है
कैसी भी हो बचानी पड़ती है जिन्दगी
शालिनी शर्मा
उजडी़ हुई बस्ती को तुमने बसाया कब था
जंगल है जलते दरख्तो को बचाया कब था
बेघर बेचारा जलता देखे घरोंदा अपना
बेबस वो सोचे जलता शजर उगाया कब था
मरते रहे बच्चे तो अफसोस किस लिये
भूखे थे कई दिनो से उन्हे खिलाया कब था
वो हाले दिल ना समझे तो उनकी खता क्या
हमने भी अपना हाले दिल बताया कब था
जब दूरियां दिलो की बढ़ने लगी तो समझे
कि प्यार से उन्हे अपने गले लगाया कब था
उजड़ा चमन और कलियां मुरझाने लगी हैं
जतन से कब सम्भाला था सजाया कब था
शालिनी शर्मा
मोहब्बत जब बवाल कर देगी
हया चेहरा तब लाल कर देगी
बदजुबानी लडकी से जो की
गुलाबी वो गाल कर देगी
मशवरा है सोना मत रात दिन
वरना जीना मुहाल कर देगी
इम्तेहान छोड़ कर मत बैठो
मस्ती खराब साल कर देगी
बेटी पर विश्वास तो करो
किसी दिन कमाल कर देगी
सहानभूति जो दिखाई हमसे
आँखे गीला रूमाल कर देगी
गाँव से शहर में मत आना
मुफलिसी फटे हाल कर देगी
शालिनी शर्मा
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