नमस्कार दोस्तों मैं फिर उपस्थित हूं अपनी कलम अपनी कविताओं के साथ जो लोग मुझे पढ़ते हैं मुझे पसंद करते हैं मेरा उत्साहवर्धन करते हैं मैं उन सभी मित्रों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं आपकी एक लाइक उत्साह देती है लिखने के नए मार्ग प्रशस्त करती हैं आप ऐसे ही स्नेह बनाए ऐसे ही,आपका तहे दिल से धन्यवाद
नारी
मुख पर घूंघट डार डार सेकत रोटी पोषक आहार
गरमागर्म खिला चूल्हे की रोटी देती सबको प्यार
मूरत ममता की सदियों से नेह लुटाती आयी है
बस रसोई ही जीवन उसका छोटा है उसका संसार
शालिनी शर्मा
एक नयी गजल आपकी समीक्षा के लिये आपके समक्ष प्रस्तुत है
यह दिल की प्रीत जहां में दुखदाई होती है
ना इश्क किसी से करना रुसवाई होती है
ना व्यर्थ करो यह आंसु बेमोल गिराते हो
बहुमूल्य रत्न गिनने में कठिनाई होती है
जग इश्को मोहब्बत की अर्जी खारिज करता
मुश्किल से इन केसों की सुनवाई होती है
जज्बात किसी के भी कोई मोल नहीं रखते
यहां संग साथ अपने परछाई होती है
कब दोस्त कोई दुश्मन बन आ के खड़ा होगा
हर शख्स के मन में तो गहराई होती है
कोई राज कभी अपना मत गैरों से कहना
हमराज ये दुनिया ना हरजाई होती है
शालिनी शर्मा
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