शालिनी शर्मा की कविताएं



HINDI POEMS

सुन ना सकेगा वो तू उससे बोलता रह जायेगा
तू अपने मन की गाँठे बस खोलता रह जायेगा

जब भी समय मिले तू उससे खुल के बात कर
आखिर कहा नही क्यों  ये सोचता रह जायेगा

दिल के  करीब  था  बहुत  पर  दूर  जा  चुका
उससे ना मिल सकेगा मन खोजता रह जायेगा

जो  भाग्य   में    नही  है  ना    हाथ   आयेगा
मत भाग उसके पीछे बस  दौड़ता रह  जायेगा

चंचल  नदी  है    राहें   खुद   खोज   लेती   है
दरिया का मुंह बेकार में तू  मोड़ता रह जायेगा

अच्छा किया जो काम  वो बस  साथ  जायेगा
बाकी सभी यहाँ  तू  बस  तोलता  रह  जायेगा

सच जो भी  है वो  सबके आ जायेगा  सम्मुख
अपने विषय में ऊंची ऊंची छोड़ता रह जायेगा

हमने  नही  उसकी   सुनी  और   प्यार  से  रहे
नफरत का जहर बेवजह वो घोलता रह जायेगा
                                     शालिनी शर्मा

सपने   गिरवी  पड़े  हुए  हैं बढ़ा  रहे  वो ब्याज
कल गरीब निर्धन ही होगा  जो  निर्धन है आज
जो  निर्धन  है  आज  ना चूल्हा उनका  जलता
सिर्फ   सुनहरे   सपनो  से  परिवार  ना  पलता
ना  युवाओं   को   रोजगार  ना   कम  महंगाई
उसने  ही   हैं   स्वप्न  छले  सरकार  जो  आयी
                                 शालिनी शर्मा

कुछ  लोगो ने  देश की  कैसी  हाय  छवि  बना  ड़ाली
प्यार मुहब्बत की धरती पर बैर की  फसल उगा ड़ाली
स्वार्थ छोड़  कर इस  धरती का  मान करे सम्मान करें
कहो  आज  हिंसा  भड़काने  वाली  सोच जला ड़ाली
                                  शालिनी शर्मा


व्यंग रचना एक प्रयास
चलो करे हड़ताल  चलो हम भारत बन्द  करायें
कुछ गुन्ड़ो को संग में लेके लोगो  को  धमकायें
रोज   करेगें   हड़ताले  और   ट्रेन   करेगें   बन्द
आओ देश के अमन चैन को चिन्गारी दिखलायें
                                      शालिनी शर्मा


रोटी की  भागदौड़  ही  सारी उमर  रही
कैसे कहें के ज़िन्दगी अच्छी गुजर  रही
आँधी रूला रूला गयी बारिश से तंग हैं
कितनी है धूप तेज बस इस पे नजर रही
                              शालिनी शर्मा


चले जो  हाथ  को  थामें  उन्होने  राह में  छोड़ा
जमीं ना भा रही थी  आसमा की  चाह में छोड़ा

बढ़े  शिकवे  तो सांसो में  गमों का ही बसेरा था
सुकूं ढ़ूढ़ा, मिला, छोड़ा ठिकाना  आह में छोड़ा

ना जाने क्यों हमारी  बात वो  उनको नही भायी
हमें कैसे किया  रूसवा  शगूफा  डाह में  छोड़ा

बहुत कोसा  लाचारी  को बहाये  खूब  ही  आँसू
उन्होने आखिरी दम  जब  हमारी बांह  में  छोड़ा

सदी गुजरी गये उनको  बस इतनी  याद बाकी है
झड़ी सावन की थी बरसात के जब माह में छोड़ा
                                      शालिनी शर्मा


मांगा नही  कभी  कुछ  अपनी जुबान से
जो भी मिला सभी कुछ पाया वो मान से

होंसलो  ने   उसके  अम्बर   झुका  दिया
आकाश   छू   लिया   छोटी   उड़ान   से

दोनो   ने  प्यार  की  कसमें  निभायी  यूं
संग  संग   चले   गये   दोनो  जहान   से

परिवार  बड़ा है  मुश्किल  भी  आती  है
होता  नही   गुजारा   छोटी   दुकान   से

घर  का चिराग ही घर  अपना जला  रहा
उसने मिटा दिया सब बिल्कुल निशान से

किस बात से दुखी है किस बात की कमी
आवाज  सिसकियों की  आती मकान से
                                 शालिनी शर्मा
दोहे
योवन की गगरी  भरी  शीतल जल  टपकाए
प्यासा नजरो से पिये   नजर से प्यास बुझाए

कली खिली जब बाग में भंवरा व्याकुल होए
कब रस का रसपान हो सोच के धीरज खोए
                           शालिनी शर्मा
तस्वीर   मेरी  रोज क्यों वो  देखा  करता  है
क्यों  रोज  राह में  मेरा  वो  पीछा करता  है

कुछ तो  जरूर  बात है जो  कह नही  पाता
शायद ख्यालो में भी मुझको सोचा करता है

मिल जाये नजर उससे तो वो  झेंप  जाता  है
फिर बेवजह  इधर  उधर कुछ ढ़ूढ़ा करता  है

कोई  पैगाम  उसका  नही पहुंचा अब  तलक
रोज लिख के कुछ ना कुछ वो फेंका करता है

मेरी खुशी  ही  जैसे  उसकी जिन्दगी  है  अब
ख्वाइश हो पूरी हर  मेरी  वो  पूजा  करता  है


                                      शालिनी शर्मा


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