शालिनी शर्मा की कविताएं



HINDI POEMS

लम्हा  लम्हा बीत रहा  कुछ खोने का अहसास लिये
सूखी धरती  तकती बादल  दो  बूंदो की  प्यास लिये
अंधियारा  घनघोर घिरा  है जले दीयो की लौ मन्दम
हुई सुबह किरणे मुस्कायी  एक नया  उल्लास  लिये
                                        शालिनी शर्मा


सूखे  हुए   शज़र   को   पानी  पिला  रहे  हैं
पतवार  बिन  नदी  में   नौका   चला  रहे  हैं
जो कहते फिरते कल थे रोटी मिलेगी सबको
दोबारा आ  के  फिर  से  वादे  खिला  रहे हैं
                              शालिनी शर्मा



जब कुछ भी ना बदला गया खुद को बदल लिया
नम आँख  हुई जब  भी आँखों को  मसल  लिया
जब खुद का जायजा  लिया तब  ये समझ आया
चुननी  थी  कठिन राहें  क्यों  रस्ता  सरल  लिया
                                   शालिनी शर्मा


नफरत की आग पे ना हाथ अपने  सेकिये
गलियों में टुकड़े कांच के ना इतने फेकिये
अपनी खडी फसल पे शत्रुओं की है  नजर
हो  बेखबर  यूं आँख  मूंद  कर  ना  लेटिये
                                 शालिनी शर्मा

Comments