शालिनी शर्मा ,कविता आपके लिये

HINDI POEMS
लीजिये दोस्तो मैं फिर हाजिर हूँ अपनी कलम के साथ
हमेशा की तरह ही मेरा होंसला बढ़ाइयेगा


गजल
तस्वीर   मेरी  रोज क्यों वो  देखा  करता  है
क्यों  रोज  राह में  मेरा  वो  पीछा करता  है

कुछ तो  जरूर  बात है जो  कह नही  पाता
शायद ख्यालो में भी मुझको सोचा करता है

मिल जाये नजर उससे तो वो  झेंप  जाता  है
फिर बेवजह  इधर  उधर कुछ ढ़ूढ़ा करता  है

कोई  पैगाम  उसका  नही पहुंचा अब  तलक
रोज लिख के कुछ ना कुछ वो फेंका करता है

मेरी खुशी  ही  जैसे  उसकी जिन्दगी  है  अब
ख्वाइश हो पूरी हर  मेरी  वो  पूजा  करता  है


                                      शालिनी शर्मा

होठो पे  हंसी आँखों में  अश्को की नदी है
सांसो पे  बेबसी  की भारी  गठरी  लदी  है
बढ़ता ही  जा  रहा है  इम्तहानो  का सफर
ना  जाने कितनी ठोकरे  किस्मत में बदी है
                              शालिनी शर्मा

मैं  पंछी  पिंजरे का  मैं हूँ  उड़ने  से  मजबूर
अंधियारा  है  मन  में  मेरे    दुनिया  है  बेनूर
फेंक के टुकड़े चिड़ीमार अहसान दिखाता है
छुए  नही    टुकड़े  तेरे  भूखा  मरना   मंजूर
                                      शालिनी शर्मा

जख्म  दिये  पर  हमें   रोने   नही   दिया
ख्वाब  दिखाये   मगर  सोने   नही  दिया
वाह जिन्दगी तू भी अदाकारा अनोखी है
नाटक है सब अहसास ये होने नही दिया
                     शालिनी शर्मा

जिन्दगी  से हार  के ना  जाइये प्रिय
मुश्किलों को  होंसला  बनाइये  प्रिय
रात अन्धेरी है जरा रूकिये दो घड़ी
सूरज की रोशनी से भी नहाइये प्रिय
                           शालिनी शर्मा

गर ताज  ना  मिला तो  कोई गम नही  किया
पर  तख्त  के इन पायों को बेदम नही  किया
वो  पीठ  मेरी  थी  जहां  से  चढ़  के  गये  हो
था  भार  बहुत पर  नयन को नम नही  किया
                                   शालिनी शर्मा






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