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गीतिकाड़र ड़र के जीते हैं वो ये बात समझ पे भारी है
उनको क्यों लगता है ये उनकी गर्दन पर आरी है
जिसमें खुश्बू प्यार की है भाईचारे की मस्ती है
जिसमें ड़र के फूल खिले ऐसी ये नही फुलवारी है
आँख मूंद सोते रहने से क्या सूरज नही निकलेगा
हम मिल कर सूरज बांटेगें रात अगर अंधियारी है
सत्ताधारी तो सबसे पहले कुर्सी की सोचेगा
बात समझ ये आ जाये तो इसमें ही होशियारी है
शान्त झील में पत्थर फेंकेगें तो हलचल होएेगी
तूफानो को न्योता देने की क्यों ये तैयारी है
पंछी के मत पर काटो पिंजरे में भी मत कैद करो
नन्हा पंछी उड़े गगन ये सबकी जिम्मेदारी है
शालिनी शर्मा
गजल
ख्वाब तब तो आयेगें जब कुछ घड़ी सो पायेगें
होगा दिल हल्का तभी जब कुछ घड़ी रो पायेगें
हम भी कुछ हैं और कुछ हस्ती हमारी है यहां
जब ये सोचेंगें मुकम्मल उस घड़ी हो पायेंगें
वो बहुत नाराज है भाता नही चेहरा मेरा
जब मिलेगें दूर शिकवे उस घड़ी हो पायेगें
रोते बच्चे को कभी दे दी जो थोड़ी सी हंसी
जिसमें मिलती है खुशी हम उस घड़ी को पायेगें
हर तरफ उलझन, लाचारी ,बेबसी और कष्ट हैं
हर तरफ होगा सुकूं कब उस घड़ी को पायेगें
शालिनी शर्मा
मुक्तक
मानवता चीखो पर उसकी सिसक सिसक कर रोती है
सोचो जीवत जली देह में कितनी पीडा होती है
दुस्साहस देखो उनका जिसने भी ये अन्जाम दिया
उन्हे लगा यहां न्याय व्यवस्था आँख मूंद कर सोती है
शालिनी शर्मा
भूख ने उसकी आज पुन: मेरा दिल फिर झकझोड़ दिया
तड़प तड़प जब भूख से उसने भरी सड़क दम तोड़ दिया
कैसे हों गर्वित कैसे हम इस विकास पर इतरायें
जब इक मानव ने दूजा मानव भूख से मरता छोड़ दिया
शालिनी शर्मा
सवैया
भूख से हो बेहाल लली निज पेट पे हाथ फिराये रही है
रोवत पूछत जात महतारी तू काहे ना चूल्हा जलाये रही है
खेत से तू क्यों ना लाया अनाज दे ताना पिता को रूलाये रहीहै
कर्ज से प्राण गवाय दिये अब रोवत शोक मनाये रही है
शालिनी शर्मा
क्यों हम दुश्मन से ड़रते हैं
पता है वो मिटायेगा
मगर खंजर तो अपना भी
कभी भी खींच लायेगा
शालिनी शर्मा
जंग छिड़ी है खुद की खुद से
हर सू क्यों लाचारी है
पास समुन्दर है पर प्यासे
बूंदे सारी खारी है
शालिनी शर्मा
जीत ही जीत जिसे रेस में मिली हो सदा
शीश जिसका किसी के आगे कभी भी ना झुका
वो क्या समझेगा दर्द और तड़प गुलामों की
राजसी ताज जिसके शीश से कभी ना हटा
शालिनी शर्मा
बर्फ सा शहर बर्फ सा जहां
न धूप गर्म है न गर्म है हवा
देखिये जिसे वो ठोस हो गया
घाव देख दिल नही पसीजता यहाँ
शालिनी शर्मा
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