दोहा गीतिका

HINDI POEMS

दोहा गीतिका
 गम अपने दे दे मुझे,दे दे अपनी पीर
कोशिश मेरी है यही,बहे न तेरे नीर

मुझको तुझसे प्यार है,तुझ पर सब कुर्बान
तुझको न छू पायेगीं,तलवारे,शमशीर

हाथ,हाथ में दे मुझे,थामू तेरा हाथ
नही अकेला भीड़ में,होना नही अधीर

सड़ा हुआ भोजन कभी,खाने के न योग्य
दूषित भोजन की कभी,ना अच्छी तासीर

मन वाणी कर साफ तू,मान सभी को मीत
जाहिल सुधरेगा तभी,जब हो शुद्ध जमीर

जीवाणु और वायरस,दोनो देते रोग
पर दोनो टिकते नही,हो गर साफ शरीर
                               शालिनी शर्मा


























नमन
दीप दियो से सजे हुए,भारत के सभी मकान
रहे मुक्त कोरोना से,  ईश्वर  दे    वरदान
नमन देश के उन वीरो को जो करते उपचार
कायम रहे हमेशा हर घर,चेहरे की मुस्कान


वर्दी पर जो थूक दे,क्या वो है इन्सान
मीत इन्हे दुश्मन लगे,क्या है इनका ज्ञान
बचा रहे जो मौत से,उन्हे नमन कर जोड़
न कोई सह पायेगा,नर्सो का अपमान
                   शालिनी शर्मा

                 गाजियाबाद उप्र
दोहे
1.कहर मचाता फिर रहा,देखो आँखे खोल
महाभयंकर त्रासदी,जीवन है अनमोल
रोज आंकड़े बढ रहे,मौत खड़ी है द्वार
नमन उन्हे जो ड़ाक्टर,देते औषधि घोल


2.मोर नाच कर कह रहा,देखो मेरा नृत्य
मानव ने छीनी हंसी,दूषित उसका कृत्य
मानव के अभिमान को,तोड़ रहा एक जीव
नही श्रेष्ठ मानव यहाँ ,यही बात है सत्य

            शालिनी शर्मा



क्या आप समझते हैं कि देश कमजोर है,एक बीमारी से ना लड़ सके,क्या हम हार जायेगें,नही,हम हारेगें नही,हम जीतेगें। 
  ये भारत है ,जहां मजदूर हाथ के छाले नही देखता,ईंट ढ़ोता रहता है,बिल्डिंग बनाता रहता है। 
  यहाँ का किसान बारिश का इन्तजार नही करता,कुआँ खोद कर खेतो को पानी देता है और देश के लिए अन्न का उत्पादन करता है। 
  यहाँ का जवान दुश्मन को पीठ नही दिखाता विजय का झंड़ा गाढ कर आता है। 
   यहाँ की महिलाओं को अन्नपूर्णा कहा जाता है जहाँ से कोई भूखा नही जाता। 
  यहाँ के बच्चे अपने खानदानो का, अपने महापुरूषो का प्रतिनिधित्व करते हैं। आन बान शान को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं। 
  यहाँ की पुलिस सड़को की व्यवस्था बनाने के लिए जून के महीने में पसीने से लथपथ बिना किसी छत के नीचे खड़े हुए धूप में काम करती है। 
   यहाँ के मन्त्री,नेता,सांसद अपने इलाके को,इलाके की जनता को अवश्य प्यार करते हैं  ,फिर वो कैसे अपने लोगो का अनिष्ट होने देगें। 
   यहाँ के अधिकारियों और सरकारी कमचारियों में ये भाव कूट कूट कर भरा है उसका काम मेरे काम से अच्छा कैसे,अर्थात सभी दूसरो से अच्छा करने की कोशिश करते हैंजब सब सिर्फ देश को पहले रखकर सोचते हैं और सब हाथो में सैनिटाइजर ,मुहं पर मास्क लिए खड़े हैं ड़ाक्टर पीपीई पहन कर तैयार खड़े हैं तो कोरोना की क्या मजाल जो बच जाये। इसने यही तो भूल की जो भारत में आ गया।भारत से इसे जाना ही होगा। 

    हमें इस कोरोना के मंसूबो को कामयाब नही होने देना है। घरो में रह कर इसका मुकाबला करना है अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने के लिए उचित आहार लेना है। दुआ करनी है किसी की जान ये कोविड़ उन्नीस बीमारी न ले सके। आर्थिक सहयोग करके देश को मजबूत करना है।

सावधान हो जाइये,कन्ड़ीशन है सैड़
रोज बढ़े प्रतिदिन यहाँ,कोरोना के बैड़
धर से दूर न जाइये,रहें घरो में लाॅक
ये अपील सबके लिए,मम्मी हों या डैड
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शहर छोड़ मत जाइये,मानो लोगो बात
राहत शिविरो में रहें,मिलता रोटी भात
कुछ दिन के ये कष्ट हैं,होगा फिर उल्लास
कोरोना से जंग है,देनी इसको मात
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कोरोना का तोड़ ये,रहे घरो में कैद बन्द
बस सोशल डिस्टैंस से,ले सारे आनन्द
हाथ जोड़कर कीजिए,दूर से मित्र प्रणाम 
वो धन से कर दे मदद,जो हैं दौलतमन्द
                      शालिनी शर्मा
                     गाजियाबाद उप्र

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