कहां है आजादी बतलाओ
मत झूठे सपने दिखलाओ
बन्धक देश आज भी है
ये सच्चाई मत झुठलाओ
क्या है सस्ता आज इलाज
जमाखोर क्या आते बाज
नही देश क्या जलता आज
क्या नफरत से मुक्त समाज
मत नफरत के बीज उगाओ
देश को मत बिन बात जलाओ
क्या अपराध नही होते हैं
क्या सब चैन से ही सोते हैं
क्या सपने पूरे होते हैं
भूखे हैं बालक, रोते हैं
रोटी तो भरपेट दिलाओ
पानी दे मत भूख मिटाओ
शिक्षा क्या व्यापार नही है
क्या मंहगा बाजार नही है
क्या अब भृष्टाचार नही है
क्या शोषित,लाचार नही है
मत पशुओं पर जुल्म ढहाओ
पंछी मत पिंजरे में लाओ
नोट नही क्या छपते जाली
क्या है हर घर में खुशहाली
क्या नही हवा प्रदूषण वाली
क्या हर पेड़ सुरक्षित ड़ाली
मत धरती बंजर बनवाओ
नदियों का अस्तित्व बचाओ
क्या नकली ना मिले सामान
क्या है हर्षित ,सुखी किसान
क्या बुजुर्ग का है सम्मान
बन्द कहां नारी अपमान
देश को जन्नत पुन: बनाओ
इसका गौरव वापस लाओ
बन्द हुई क्या वैश्यावृत्ति
लूट की कम क्या हुई प्रवृत्ति
सहमी सहमी है हर बस्ती
जीवन महंगा मौत है सस्ती
इस धरती का मूल्य चुकाओ
मत दहशत का जाल बिछाओ
कहां है आजादी बतलाओ
मत झूठे सपने दिखलाओ
बन्धक देश आज भी है
ये सच्चाई मत झुठलाओ
शालिनी शर्मा
गाजियाबाद उप्र
इन्सानो की शक्ल में,घूम रहे शैतान
गांव,गलियां और शहर,हैं सारे हैरान
मर्यादा घायल पड़ी,दया अपाहिज आज
नैतिकता के शव पड़े,बेच रहे ईमान
शालिनी शर्मा
दोहा मुक्तक
फुटपाथो पर मैं रहूं,नही ठिकाना पास
विनय मेरी भी है प्रभु,मुझको दो आवास
मुझको भी रोटी मिले ,रहूं न वस्त्र विहीन
रोटी कपड़ा छत मिले,ऐसी तुमसे आस
शालिनी शर्मा
गाजियाबाद उप्र
Comments