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जगकर काली रात न कर
मायूसी की बात न कर
दुख पीने की कोशिश कर
आंखो से बरसात न कर
उसे समझ जो कहा नही
रूसवा तू जज्बात न कर
नफरत की मत बेल उगा
बदतर तू हालात न कर
खून चूसना छोड़ दे अब
लाल लहू से दांत न कर
रेस नियम से पूरी कर
छल से तू शुरूआत न कर
कोन खिलाफत में है तेरी
छोड़ दे तहकीकात न कर
शालिनी शर्मा
गाजियाबाद उप्र
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