Hindi poem शालिनी शर्मा की कविताएं




दोहे
शीत लहर ये कह रही,क्यों जगता मत जाग
नींद नही गर आ रही,बैठ जला के आग

जो सड़़को पर सो रहे,उनके पास न खाट
ठिठुरन में वो सो रहे,धरा बिछा के टाट

लाती हैं दुश्वारिया,ये सर्दी, बरसात
जिनके सिर पर छत नही,कैसे काटे रात

शीतलहर ने कर दिये,कठिन बहुत हालात
पास न कम्बल चादरें,हवा करे उत्पात

कोहरे ने सबसे कहा,सो कम्बल को तान
बर्फीला   पानी  कहे,  मत करना  स्नान

पाला इतना पड़ रहा,सब हैं दुखी किसान
तुलसी मुरझा कर कहे, पाले ने ली जान

बर्फीली ये रात है, दस से कम है ताप
ठिठुरन है सब कांपते,मुंह से निकले भाप
                           शालिनी शर्मा

दोहा गीतिका 
 पाल पोस कर कर दिया,जिसने वत्स जवान
वृद्ध आश्रम छोड़ कर,भूल गया पहचान

मात पिता के कर्ज को,सकता कोन उतार
मात पिता का तुम कभी,मत करना अपमान

ये  बूढ़े माता पिता, क्यों  बन  जाते बोझ
जो रखते सारी उमर,सब बच्चो का ध्यान

बालक क्यों भूखा रहे,खुद सह ली थी भूख
वही रोटियों  के लिए,तरस  रहा इन्सान 

उन आँखों में नीर है,भीगे जल से नैन
जिसने चाही थी सदा,बच्चो की मुस्कान

बच्चो की किलकारियां,भाता जिनको शोर
उन्हे पुत्र ने कह दिया,खाली करो मकान
                           शालिनी शर्मा
                          गाजियाबाद


दुआ जिन्होने की सदा,बच्चे हों खुशहाल
आज वही गमगीन हो,बांध रहे सामान
                      शालिनी शर्मा
                          गाजियाबाद

आज दुखी हो कर पिता,करते यही सवाल
प्रभु  ऐसी हमने  कहां,  मांगी  थी  सन्तान
           शालिनी शर्मा

रात  की  तन्हाइयों  में रो  रहे हैं  ख्वाब सब
कब मेरी बरबादी  होगी हैं  बहुत  बेताब सब
बिन किसी उम्मीद के कैसे जियें कोई बताये
रात काली घिर रही, गुम चाँदनी महताब सब
                        शालिनी शर्मा
                          गाजियाबाद
                          
दोहा गीतिका 
 जीवन कितना कीमती,सोचो,करो विचार
सीट बैल्ट रक्षा कवच, बांध चलाना कार

अपनी सुरक्षा खुद करो,सजग रहो हर हाल
जेब्रा क्रॉसिंग से सदा,करो सड़़क को पार

दोपहिया वाहन चला,सदा पहन हेल्मेट
मोबाइल से बात का,ठीक नही व्यवहार

नही चलाना कार-बस,पीकर कभी शराब
 नशा सुरा का ये करे,राहो को दुश्वार

हरी बत्तियां ये कहें,शुरु करो अब दोड़
लाल रंग इंगित करे,बन्द करो रफ्तार
                        शालिनी शर्मा


लोकतन्त्र में वोट ड़ाल  कर चुनते हैं  सरकार
वोट  डालने वो जाते  है जिन्हे  देश  से  प्यार
जिन्हे  देश  से प्यार  नही  आलस  दिखलाते  
वोट  ड़ाल कर  हम  अपना हैं  फर्ज  निभाते
देश को  मजबूती  देता है  वोट एक  है  यन्त्र
वोट ड़ालने से  ही तो सुदृड़  होगा  लोकतन्त्र
                                         शालिनी शर्मा


वोट करो
एक वोट भी व्यर्थ न हो हम मन्त्र करे ये याद
सभी  काम  निपटायेगें वोटिगं करने के  बाद

स्वच्छ  साफ सरकार बनाने को हम देगें वोट
नेता नही चुनेगें  ऐसा  मन  में  जिसके  खोट

अच्छा नेता चुनने का ये अवसर नही गंवायेगें
आंधी आये या  तूफां हम वोट  ड़ालने जायेगें
                                  शालिनी शर्मा


 ्लोकतन्त्र मजबूत हो अपना, यूं  ही तिरंगा फहराये 
विश्व  में  ऊंचा  रहे  तिरंगा,  कोई  इसे  न  छू  पाये
प्रेम और  सद्भाव  दिलो  में रहे, न  हो  दुर्भाव  कोई
सुखी और समृद्ध हो भारत,फसल हंसी की लहरायें
                          शालिनी शर्मा




 देश मेरे तू है  बसा, मेरे  मन के गाँव
तेरी रज को चूम के,धूप लगेगी छाँव 
प्यार की ऐसी न मिले, कोई अन्य मिसाल
कृष्ण सुदामा के यहाँ,जब धोते हैं पाँव

लोकतन्त्र की देखिये,हालत हुई खराब
सबको मिली न रोटियां, सबको मिले न 
जाॅब
रोटी,छत कपड़ा नही,महंगा है उपचार
पूत पिता के सामने,पीता दिखा शराब
                         शालिनी शर्मा
                          गाजियाबाद

दोहा मुक्तक
दीन हीन हालात हैं,निर्धन हैं बेहाल
महंगाई  की मार है ,हों कैसे खुशहाल
अपराधी ड़रते नही,चोर हुए बेखोफ
भृष्टाचारी  लूटते,  देश किया कंगाल
                          शालिनी शर्मा
                          गाजियाबाद


 मैने मेरी अंखियों से इतना बहाया नीर
अब कोई पूछ ले तो नही कह पाऊं पीर
कितना सहूंगी देने लगा है जवाब धीर
तोड़ने चली हूँ सारी बेड़ियां और जंजीर
                               शालिनी शर्मा


 छोड़  दो   रूठना  मान    जाओ  सनम
बात कुछ कर लो मुंह न फुलाओ सनम
परवाह  हम भी  तुम्हारी न अब छोड़ दें
रिश्ता इस मोड़ पर  तुम न लाओ सनम
                                शालिनी शर्मा

 मुक्तक
दिल था कांच नही था ,जिसको किया है चकनाचूर
तोड़ के दिल जो घाव  दिया, ,वो आज  बना नासूर
जहर  भरा  था  तेरे  दिल  में, हम  पहचान  न पाये
दोस्त  नही   था  दुश्मन  था  ,तुझसे  रहना था  दूर
                                 शालिनी शर्मा


देखभाल के चल यहाँ,कर खुद की परवाह
बहुत कठिन,  दुश्वार  हैं, जीवन की ये राह
खुद से हरदम प्यार कर,मत खतरे में ड़ाल
सावधान   होकर    चला,  गाड़ी   पूरे माह
                           शालिनी शर्मा

दोहे
मोदी काबिल हैं बडे, राहुल हैं नादान
राहुल बाबा वीक हैं, मोदी जी बलवान

मोदी जी के सामने,क्या टिकना आसान
राहुल क्यों बेकार में,फिरते सीना तान

भारत जोड़ो जो कहें,सुनो खोल कर कान
भारत टूटा ही कहाँ,  जो  जोड़े श्रीमान

एक यहां कानून है,और एक है गान
एकता में  अनेकता, है अपनी  पहचान

हो हरियाणा या असम,दिल्ली ,राजस्थान
भारत देश विशाल है,सब भारत की जान

अलग अलग हैं बोलियां,अलग यहाँ परिधान
भिन्न संस्कृति है मगर,एक है हिन्दुस्तान

कहीं मराठी है कहीं,उड़िया कहे जुबान
मणिपुरी या तेलुगु,सबको मिलता मान

 हो हरियाणा या असम,दिल्ली ,राजस्थान
भारत देश विशाल है,सब भारत की जान
                         शालिनी शर्मा
                          गाज़ियाबाद
गीतिका
हमसे मिलने कभी तुम भी आया करो
हमको  ही  मत  हमेशा  बुलाया  करो

हमने चाहा तुम्हे,  की  खता  मान ली
याद आके  ना  अक्सर  रूलाया  करो

घर जला के वो  करते हैं  रोशन जहां
लपटो से अपना  घर भी बचाया करो

फूल तुम  भेजते  हो सदा  उनके  घर
अपना घर भी तो थोड़ा सजाया करो

जो दिये जल रहे उनको जलने भी दो
जलते दीयो को  तुम  न बुझाया करो

धक्का  देके   गिराना  नही   है  सही
नीचे  गिरते  हुओ  को  उठाया  करो
                         शालिनी शर्मा
                          गाजियाबाद

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