उसको उसकी रुसवाई से कोई फर्क नही पड़ता
जो कल था दीवाना उसका अब वो बात नही करता
तोड़ दिया दिल के रिश्ते को बिन कारण बतलाये ही
सच चाहने वालो के संग कोई ऐसा जुल्म नही करता
शालिनी शर्मा
दोहा गीतिका
मोर नाचते बाग में, तोते खाते आम
कितनी मनमोहक लगे,गाँवों की ये शाम
भीड़ भाड़ है हर तरफ, है ट्रैफिक का शोर
धुआं,धूल है गन्दगी ,शहरो में है जाम
हवा प्रदूषित हो रही, है काला आकाश
भोर गाँव की खुशनुमा, शहर में न आराम
मिलजुल कर रहते सभी, सुखदुख बांटे साथ
भोली भाली है यहाँ, गाँवो की आवाम
द्वेष,कपट छल दंभ है, और बिका ईमान
मिले शहर में क्या हमें, बिन पैसे बिन दाम
शहरो में अन्जान सब, किसी से न पहचान
गाँवों में सब जानते, इक दूजे का नाम
शालिनी शर्मा जिन्दगी है जहर हंस के पी लीजिए
जिन्दगी से गिला न कभी कीजिए
जो मिला वो बहुत कीमती है सभी
थोड़ा सा दान इसमें से कर दीजिए
देख के वो दुखी दूर हो जायेगा
न गमो का किसी से जिकर कीजिए
कत्ल करके जो मासूम दिखने लगे
दुख जताने लगे भी तो न चींखिए
शान्त जीवन में रहना जरुरी बहुत
क्रोध में होंठ को न कभी भींचिए
आंसू सारे गमो की दवा है यहां
दर्द बढ़़ने लगे तो दवा पीजिए
शालिनी शर्मा
दिग्पाल छन्द
221 2122 221 2122
पाया सदा वही जो बोया कहीं सुना था
जो सो गया उसी ने खोया कहीं सुना था
उड़ना जिसे गगन में,आकाश खोजना है
रातो को वो कभी न सोया कहीं सुना था
शालिनी शर्मा
दिग्पाल छन्द
221 2122 221 2122
उसको नमन हृदय से जिसने लहू बहाया
तन के खड़ा रहा सिर, जिसने नही झुकाया
जो देश के लिए ही जीता रहा मरा भी
जिसने लुटा दिया सब, घर लोट के न आया
शालिनी शर्मा
जीवन है संघर्ष यहाँ सबको कांटो पर ही चलना है
राह के पत्थर ठोकर देगें गिर कर रोज सम्भलना है
जो राहों की बाधाओं से घबरा कर रूक जायेगा
ख्वाब न उसके पूरे होंगे चलो भाग्य अगर बदलना है
शालिनी शर्मा
आंसू,दर्द पराये देखे,तब हमको आभास हुआ
दुख मेरा कितना कम हैं इस बात का तब अहसास हुआ
जब कटे पेड़ को देख परिन्दे करते दिखे विलाप यहां
उनके दुख को पहचानो जिनका यहां खत्म आवास हुआ
शालिनी शर्मा
सादर नमन
निर्धन अगर है सच तो ज्यादा अड़़ नही सकता
धनवान झूठ हो तो रंक लड़़ नही सकता
सच की लड़ाई हर गरीब बिन लड़े हारा
मंहगी है अदालत वो सीढ़ी चढ़ नही सकता
मंहगी यहां पे फीस है,मंहगा है ज्ञान भी
स्कूल हैं मंहगे गरीब पढ़़ नही सकता
खिलते गुलो से फूलदान सजते हैं सदा
गुलदस्ते में गुल सूखा कोई जड़़ नही सकता
पोधे को,बीज को सदा रखो सम्भाल के
बिन देखभाल कोई पोधा बढ़़ नही सकता
ये फूंक, मंत्र, झाड़ सब बेकार हैं यहाँ
इन मन्त्रो से कोई भी रोग झड़़ नही सकता
शालिनी शर्मा
जो हमें मुर्दा समझकर छोड़ गये शमशान में
शब्द उनकी असलियत के कुछ पड़े हैं कान में
जो हमारी मोत पर रोये यहाँ सबसे अधिक
वो कहें वारिस घटा संपत्ति के सामान में
शालिनी शर्मा
माँ बाप के सपनो को दफन रोज कर रहे
पढ़ने को निकले घर से मगर मोज कर रहे
रखके किताब दूर इश्क पढ़ने लगे हैं
ले कर गुलाब हाथ में प्रपोज कर रहे
शालिनी शर्मा
1212 1122 1212 22/112
लुटा दिया,कुछ छोड़ा नही खजाने में
लगा दिया सब, जो था, उसे हराने में
मिटा दिया उसने मान,जो कमाया था
जिसे लगी,सदियां थी हमें कमाने में
दिखा उदास जमाना,दिखी उदासी थी
हमें दिया गम, उसने सदा हँसाने में
झुके नही हम,चाहें सब कुछ खो ड़ाला
करो न देर अपना मान तुम बचाने में
सिखा दिये गुण सारे नही छुपाया कुछ
कभी नही हिचका आग वो बुझाने में
शालिनी शर्मा
चामर छन्द
212 121 212 121 212
हो न भेदभाव लोग सब यहाँ समान हों
पंख हों सभी उड़े़ अनन्त आसमान हो
हो न बन्दिशे न बेड़ियां,खुली जुबान हो
हिन्द देश विश्व में सदा सदा महान हो
शालिनी शर्मा
चामर छन्द
212 121 212 121 212
जिन्दगी बता सदा खुशी खुशी गरल पिया
जो दिया वही लिया नही गिला कभी किया
जीत पर किया यकीन आस को बढ़ा लिया
हौंसला शरीर को न हारने कभी दिया
शालिनी शर्मा
ज़िन्दगी में अपनी तूफान बहुत हैं
उठती हुई लहरें हैं परेशान बहुत हैं
जिन्दगी समुन्दर सी गहरी,खारी है
आँखों में नमी ज्यादा,नुकसान बहुत है
शालिनी शर्मा
कदम कदम पर कांटे हैं और करना है विषपान यहां
वैमनस्य की चिगांरी से जलता हिंदुस्तान यहां
राजनीति का सर्प लिए विषदन्त खड़ा फुंकार रहा
निष्ठा,श्रद्धा और आस्था सहती नित अपमान यहां
शालिनी शर्मा
बिना लड़े जो हार मान ले वो कायर कहलायेगा
जो खतरो से ड़़र जाये वो क्या आगे बढ़़ पायेगा
नहीं हौंसला,साहस जिसमें उसको मंजिल कहां मिली
महनत वो चाबी है जिससे मार्ग नया मिल जायेगा
शालिनी शर्मा
माता सरस्वती उनको तुम बुद्धि दो जो जला रहे
दुआ करो कि गलियों में नफरत का तांड़व टला रहे
राजनीति की इस अग्नि ने जाने क्या क्या भस्म किया
सावधान रहना है उनसे जो कुचक्र ये चला रहे
शालिनी शर्मा
मत दो दगा किसी को भी बनके हमनवां
ये आबरू सभी की है कीमती यहाँ
उसका न कुछ बचेगा जिसकी आबरु गई
वो टूट कर न उभरा जिसने भी दी ये गवां
शालिनी शर्मा
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