HINDI POEMS
गीतिका
फूूंक दे जो घर, मशाले वो न जलनी चाहिए
प्यार फैले, नफरते दिल में न पलनी चाहिए
काट ड़ाले पर, उसे उड़ने नही उसने दिया
कैद से बेबस फंसी चिड़िया निकलनी चाहिए
वो गिरे ऐसे नजर से फिर नही वो उठ सके
दोस्तो चाले तुम्हे ऐसी न चलनी चाहिए
जो हमेशा जख्म देती, जो नही देती दुआ
बात करने की तुम्हारी लय बदलनी चाहिए
भावनाएं सर्द हैं अब आँख में पानी नही
जो जमा है बर्फ,वो अब तो पिघलनी चाहिए
शालिनी शर्मा
1222 1222 1222 1222
उठाये फिर रहा था जो सभी का भार कन्धो पर
उसे शमशान लाये थे बेगाने चार कन्धो पर
कहां से वो उठाये बोझ जो चल भी नही सकता
न हो परिवार की चिन्ता किसी बीमार कन्धो पर
जिसे बच्चा बता कर हम सदा छोटा समझते हैं
उठाता बोझ वो परिवार का लाचार कन्धो पर
नही कोई हमारा हम जिसे अपना कहे साथी
जहां हम रो सके सिर रख जता अधिकार कन्धो पर
अराजकता दिखेगी और दंगा देश में होगा
कभी सत्ता चली जाये अगर बेकार कन्धो पर
दिया है हौंसला हमको, करी तारीफ रचना की
लिए फिरते सदा सबका बहुत आभार कन्धो पर
शालिनी शर्मा
चोर चोर मोसेरे भाई,सारे नेता यहाँ कसाई
सभी काटते है जनता को,पीर किसे दी यहाँ सुनाई
ये नफरत के सौदागर हैं,घृणा द्वेष फैलाते हैं
कुर्सी की चाहत में खोकर,सभी बढ़ाते दिलो की खाई
वादो से बहलाते हैं ये,वादे पूरे कभी न करते
नही किसी से कोई कम है,सभी स्वार्थ की करें कमाई
युवा तरसता रोजगार को,भूख से विचलित हैं जन आम
फिक्र सभी को कुर्सी की है,नही फिक्र क्यूं बढ़े महगांई
सारी सुख सुविधाएं पाते दिखा के जनता को सपने
सभी झूठ की खेती करते और कपट की फसल उगाई
कुर्सी पाकर भूल गये ये जनता से जो किये थे वादे
पांच साल तक सूरत अपनी नही इन्होने दिखलाई
जब से घोषित हुई चुनावों की तिथियां सबमें हलचल
अब चुनाव आने पर इनको याद पुन: जनता की आयी
शालिनी शर्मा
1222 1222 1222 1222
विधाता छन्द
अजब छायी खुमारी प्रीत की, इस बार होली में |
सखी सुन री,बसा दिल में किसी का प्यार होली में ||
हजारो रंग आते, मुख हुआ गुलजार होली में |
तुझे चाहा किया इकरार जब इजहार होली में ||
शालिनी शर्मा
गाजियाबाद
होली गीत
फागुन आयो रे हो फागुन आयो रे
फागुन में हरियाली लेकर आया है मधुमास
कली कली और फूल फूल पर छाया है उल्लास
कोयल गीत सुनाती,गूंजें भंवरों की गुंजार
फागुन आयो रे हो फागुन आयो रे
गली गली में शोर मचाती मतवालो की टोली
रंग गुलाल अबीर उड़ा के खेल रहे हैं होली
हंसी,खुशी और मस्ती देता रंगो का त्योहार
फागुन आयो रे हो फागुन आयो रे
साजन ने जब रंग लगाया हुए गुलाबी गाल
हया की लाली मुख पर छायी गोरी का मुख लाल
तन और मन को भिगा रही है पिचकारी की धार
फागुन आयो रे हो फागुन आयो रे
शालिनी शर्मा
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