Suraj





नमस्कार दोस्तों 
मेरा प्रयास है कि कुछ नए अन्दाज में खुद को प्रस्तुत कर सकूँ अभी सीखने की प्रक्रिया में हूँ अतः कमियों को नजर अंदाज करते हुए सिर्फ ये देखिएगा कि इन छोटी छोटी रचनाओं को  आप तक पहुंचाने में बहुत प्रयास करने पड़ते हैं कमेन्ट करने के लिए थोड़ा समय निकालिएगा आभारी रहूंगी 









कविता  

 टूटे हुए सपनो को फिर से सजाना है
तुझे दुनिया में ऊँचा रुतबा बनाना है
 तुझे जुगनू की तरह बनना नही हे यहाँ
तुझे दिनकर बनकर के दिखाना है
जीवन में काला अंधियारा घिरने लगे तो
तुझे  बुझे दीपक को फिर से जलाना है
कोना  कोई धरती का बंजर रहे न यहाँ
सूखी धरती में हरियाली को उगाना है
                                 शालिनी शर्मा 




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