नमस्कार दोस्तों फिर हाजिर हूँ अपनी कविता लेकर आप का प्यार मेरा सम्बल है अपना प्यार बनाये रखिएगा
आज एक काव्य गोष्ठी है उसके लिए मुझे आशिर्वाद और स्नेह चाहिए आपका, शुभकामनाएं दे कर मनोबल बढ़ाये
दोहे
रोक सकेगा कोन उसे,जिसको उड़ना दूर
पंख तेरे कमजोर हैं, पर साहस भरपूर
आओ राजा का करें,मिल कर सभी विरोध
दुष्ट क्रूर सरदार का, आवश्यक प्रतिरोध
अपने हर अपमान को,कर देता वो माफ
गंगा जल सी सोच है,उसका दिल है साफ
फल वाला वो वृक्ष है,पत्थर खा दे आम
बड़ा कोन कद में यहाँ,कोन करे इंसाफ
शालिनी शर्मा
दोहे
वो हमसे ऐसे मिले, जैसे हम अन्जान
हमसे मिलकर कर रहे, हों जैसे अहसान
हम भी क्यों तुझसे मिले,तू भी है इन्सान
तू साधारण जीव है,व्यक्ति नही महान
हाथ जोड़ वापस चले,मुख पर ले मुस्कान
तेरी महफिल में नही,जब अपना सम्मान
अभी हमें बस वो मिला,अभी हुई पहचान
पर दिल में ऐसे बसा,सदियों का महमान
पुत्र पढ़ाने के लिये, गिरवी रखा मकान
पिता विलायत भेजते,फील करें अभिमान
घर में बस माँ बाप हैं,साथ नही सन्तान
बच्चे सुधि लेते नही, सब समझे सामान
शालिनी शर्मा
बिना धनुष के बाण के,कत्ल करे वो रोज
कांग्रेस युवराज को, भाये नही सरोज
शालिनी शर्मा
वो जीवन की छांव है,वो है मधुर पराग
वो सुख की है बांसुरी,ऋतु बसन्त, है फाग
शालिनी शर्मा
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