शालिनी शर्मा की कविता
दोहा
ढूंढ ढूंढ कर थक गये,मिला नहीं पर चैन
बात बात में भीगते, असुँअन से ये नैन
शालिनी शर्मा
दोहा मुक्तक
ढूंढ प्रभु को थक गये,मिला नहीं था चैन
बात बात थे भीगते, असुँअन से ये नैन
वर्ष सैकड़ो बाद अब,लोट रहे श्री राम
देश सुखी, नर नारियां,नाचत है दिन रैन
शालिनी शर्मा
छन्द-कीर्ति (वार्णिक)
112 112 1122
भगवान कृपा बरसाओ
मत देर करो प्रभु आओ
वन में भटके सुकुमारी
नयनो मत नीर बहाओ
घर लौट रहे वनवासी
पुष्पो कलियों मुस्काओ
वन के दिन बीत गये हैं
रघुबीर सिया घर आओ
जय राम कहे हनुमाना
प्रभु प्रेम सुधा बरसाओ
सब राह तके नर नारी
सब देहरी, द्वार सजाओ
सब देखत राह तुम्हारी
सब दीपक, धूप जलाओ
शबरी पथ राह सवारे
प्रभु बेर चखो, फल खाओ
फल फूल प्रसाद चढ़े हैं
चरणामृत भी बटवाओ
तुम हो सबके हितकारी
सबकी तकलीफ़ मिटाओ
शालिनी शर्मा
पंच चामर छन्द
121 212 121 212 121 2
शराब जो पिये कभी, हुआ न कामयाब है
बिगाड़ती नसीब,चीज ये बड़ी खराब है
अज़ाब है,गुनाह है,नही सुधा, सवाब है
तबाह ये करे शरीर ये बुरी जनाब है
शालिनी शर्मा
राम कहाँ पर है नही,कण कण में है राम
त्याग जहां पर भी दिखे,वहां लिखें ये नाम
है बाइस तारीख शुभ, होगा काम महान
सिया राम हनुमान को, भक्तों करो प्रणाम
शालिनी शर्मा
मात्राभार
(16 +14)
ख्वाब सुहाने दिखा दिखा के,वो हमको बहलाते हैं
होती है कुछ और हकीकत,पर कुछ और बताते हैं
प्रश्न करेगा कोन यहाँ पर,उनसे भूख गरीबी पर
जब झूठी खुशहाली का भ्रम,समाचार फैलाते हैं।
शालिनी शर्मा
राम लला से मिल रहा,एक अजब विश्वास
पूरण होगें काज सब,होगा नया उजास
बैर,कपट,छल दूर कर,राम करें भव पार
राम मिले वापस मिली,राम राज की आस
शालिनी शर्मा
दूर्मिल सवैयां छन्द
112 112 112 112 112 112 112 112
जब राम चले वन तो सब लोगन ने प्रण ठान लिया वन का
सब प्यार दिखा कर रोक रहे कुछ मोह नही इस जीवन का
कहते रघुबीर चुका न सकूं ऋण नीर भरे इन नैनन का
नम आँख लिए प्रस्थान किया बस आशीर्वाद लिया जन का
शालिनी शर्मा
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