शालिनी शर्मा की कविता
मनहरण घनाक्षरी छन्द
आन बान शान तेरी, मिटने न देगें हम,
तेरे लिए तन मन, धन कुरबान है
एकता से मिलजुल,रहते हैं लोग यहाँ,
जलवायु जाति भाषा ,चाहें न समान है
खान पान वेशभूषा, सब है अलग यहाँ,
पर हम एक सभी,यही पहचान है
भारत की भूमि पर, देवता निवास करें,
मेरा देश दुनिया में, सबसे महान है
शालिनी शर्मा
दोहा मुक्तक
देश नही तो कुछ नही,सबसे पहले देश
दो सौ देशो में यहाँ,मेरा देश विशेष
अनेकता में एकता,प्रेम,दया,समभाव
सत्यमेव जयते सदा,देता ये सन्देश
शालिनी शर्मा
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