बसन्त पंचमी


दोस्तो फिर से हाजिर हूँ अपने दोहो, मुक्तकों के साथ व्यस्त होने की वजह से सृजन कम हो पाता है पर फिर भी कोशिश करती हूँ कि कुछ नया लिख सकूं और आप तक कुछ नया लिखा पहुंचा सकूं बसन्त पंचमी माँ शारदे की अराधना का पर्व है,बसन्त ऋतु के आगमन का पर्व है 
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फोटो गूगल से स आभार

अगर सफलता चाहिए,सच्चा रख व्यवहार 
वही रेस में टिक सका ,हार जिसे स्वीकार 
                  शालिनी शर्मा


स्वांग रचा वो बन गये,पीडित और लाचार
लाभ अनेको पा रहे,वर्षो बारम्बार
शालिनी शर्मा

सच कुछ भी मत बोलना,रख तू बन्द जुबान 
बलशाली उस दुष्ट से,बैर नही आसान
                   शालिनी शर्मा



वो पगड़ी को रोंद कर,चलते ठोकर मार
कब तक इस अपमान का,करे न हम प्रतिकार

तू खुद ही तकदीर है,तू ही भाग्य लकीर
आसमान को छू सके,कर ऐसी तदबीर
                     शालिनी शर्मा


 पत्थर सीना चीर कर,उग जाता है बीज
 तू न जिसको पा सके,क्या ऐसी कुछ चीज
मोती सागर में मिले,गहराई में खोज
सूरज बनने के लिए,रख दीपक दहलीज
                   शालिनी शर्मा

नयन नीर थमता नही,बहता है दिन रात
कैसे रोके नीर को,जब घातक आघात 
शालिनी शर्मा


जीवन में जो भी मिला,सुख दुख सब स्वीकार
सीख मिली हर चीज से,जीवन का आभार
शालिनी शर्मा

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