दोहे

नमस्कार दोस्तों हमेशा की तरह फिर हाजिर हूँ मेरे लिए हर्ष का विषय है कि आपका स्नेह और आशीर्वाद मुझे मिल रहा है जिससे मैं अपनी कलम को और निखार पा रही हूँ


कोशिश कर रही हूँ कि कुछ गद्य भी लिखूँ कोशिश कर रही हूँ अगर पसन्द आये तो हौंसला बढाइएगा सबकी अपनी अपनी सोच होती है
मैने पढ़ा था जीवो पर दया करो कितने सुन्दर होते हैं ये बेजुबान यही सोचते सोचते मैं सो जाती हूँनन
मुझे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी,मैने नजर उठा कर देखा तो एक बकरे का बच्चा रोता हुआ नजर आया,मैने पूछा तुम क्यों रो रहे हो,वो सुबकते हुए बोला मैं आपके पास अपनी माँ को बचाने की फरियाद लेकर आया हूँ
मैने पूछा कहाँ है तुम्हारी माँ
वो बोला कुछ लोग मेरी माँ को कत्लगाह ले गये हैं कत्ल करने के लिए
मैने पूछा क्या तुम्हारी माँ ने कोई गुनाह किया है 
वो बोला नही,मैं सुबह से कई घरो में फरियाद कर चुका हूँ पर कोई नही सुनता,सभी ये कहकर मुझे लौटा दे रहे हैं कि जो ले गये हैं वो बहुत ताकतवर और संख्या में बहुत अधिक हैं इस लिए सब ड़र रहे हैं
मैने कहा क्या तुम राजा के पास गये
वो बोला नहीं
मैने कहा तुम्हे राजा के पास जाना चाहिए क्योंकि वो बहुत ताकतवर है वो कुछ कर सकता है
उसने कहा राजा वोट का हिसाब लगाने में व्यस्त है
मैने कहा तो तुम पब्लिक के पास जाओ
वो बोला पब्लिक रोजी रोटी के जुगाड़ में व्यस्त है 
तो तुम भगवान के पास जाओ
वो बोला भगवान कहां मिलेगां
मैने कहा मन्दिर में
वो बिदक कर बोला और चिल्लाने लगा अरे बहस मत करो,क्या सही क्या गलत मुझे नही पता,कोन राजा,कोन पब्लिक जब तक तुम आओगे तब तक वो मेरी माँ को मार ड़ालेगें उठो बचा लो उन्हे,बचा लो उन्हे उठो उठो
मैने देखा मेरी माँ मुझे सोते से जगा रही है उठो उठो सुबह हो गई 

बेजुबान विनती करें,सुन लो करूण पुकार
मानव क्या हमको नही,जीने का अधिकार

मानव तू अभिशाप है,तू है इक नासूर
बेजुबान ये पूछता,तू क्यों  इतनी  क्रूर
                        शालिनी शर्मा

                                 शालिनी शर्मा









दिखा रोशनी मोम बन,पिघली सारी रात
मोमबत्तियों की तरह,नारी के जज्बात 
                     शालिनी शर्मा



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