चांदी सोने से भला,क्या होगा श्रृंगार
मेरा गहना है सजन,केवल तेरा प्यार
शालिनी शर्मा
सभी विदेशु कम्पनी, बेचे घटिया माल
लूट रही हैं ये हमें, हम होते कंगाल
भाला लेकर हाथ में, कर शत्रु पर वार
जान बक्श दी जो अगर, तुझको देगा मार
शालिनी शर्मा
जोकर को मत सोंपना,गौरवशाली देश
बागडोर गर सौंप दी,कुछ न बचेगा शेष
सत्ता पाने के लिए,करता झूंठ प्रचार
हिन्दू के विपरीत है,मुस्लिम नेह विशेष
शालिनी शर्मा
भारत देश महान है,क्या नहीं इसके पास
चारो ऋतुओं का नहीं,जग में कहीं प्रवास
हमसे बढ़कर क्या कहीं,योद्धा और बलवान
कहीं नहीं है वेद सा,गीता जैसा ज्ञान
भारत में उल्लास है,बिखरा है सद्भाव
बहुत भिन्नता है मगर,फिर भी दिखे जुड़ाव
कितना विकृत बना दिया,भारत का इतिहास
गौरवशाली देश की,समझो पीड़ा,त्रास
शालिनी शर्मा
उसको अपने हम लगे,कहता है हर बात
उसका ये विश्वास ही,है जीवन स सौगात
मरना तो इक रोज है,क्यों मरते हो रोज
बहुत छिपा ब्रह्माण्ड में, कुछ तो अच्छा खोज
जो घमण्ड में चूर है,समझ रहे भगवान
समय देखिए एक दिन,छीनेगा पहचान
शालिनी शर्मा
महनत उसने की बहुत,पर फिर भी वो फेल
दूजे को महनत बिना, मिलता है नोबेल
शालिनी वर्मा
नेता वो प्रतिपक्ष हैं,पर वो नहीं गम्भीर
बातचीत से लग रहा,वो न अभी मतिधीर
शालिनी शर्मा
सावन पर दोहे
सावन की ऋतु आ गई,गायें सब मल्हार
पंछी छिपते ड़ाल में,पड़ती जब बौछार
जंगल का निखरा बदन,सुन्दर दिखे प्रभात
दूर पपीहा गा रहा,झूले डलते डाल
सावन में नर नारियां,नाचे देकर ताल
भीगा भीगा है समा,रिमझिम पड़े फुहार
अमिया से डाली लदी,बाग हुआ गुलज़ार
बादल ने हँस कर कहा,बिजुरी मत कर शोर
इन्द्रधनुष को देखकर,नभ है भाव विभोर
राधा सखियों संग है,कृष्ण संग हैं ग्वाल
सावन का उल्लास है,करते खूब धमाल
बागो में झूले ड़ले,गाओ कजरी,ख्याल
नवल किशीरी झूलती,खुश हैं नटवर लाल
शालिनी शर्मा
बेबस जनता पूछती,किससे करे गुहार
जब राजा ही कर रहा,उसपर अत्याचार
शालिनी शर्मा
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