दोस्तों मैं फिर हाजिर हूँ अपने दोहे लेकर आपका प्यार और आशीर्वाद यूं ही मिलता रहे यही मेरी पूंजी है
दोहे
गुरुओं को सादर नमन,गुरुवर तुम्हे प्रणाम
दिया आपने ज्ञान जो,पूंजी वही तमाम
हमको भी तो चाहिए,चैन,सुकूं की नींद
बार बार मत तोडिए,आस और उम्मीद
कुछ खोने के बाद ही,होता यह अहसास
जो खोया हैं आजतक,था वह कितना खास
टूटा दिल लेकर चले,चाहा था बस प्यार
नफरत तेरे पास थी,वही दिया उपहार
तू चुप है हर बात पर,कुछ तो कर प्रतिरोध
गलत बात भी सह रहा,करता नहीं विरोध
सारे दुख कहने लगे,आकर मेरे द्वार
सबसे ज्यादा आपसे,करते हैं हम प्यार
शालिनी शर्मा
कुछ खोने के बाद ही,होता यह अहसास
जो खोया हैं आजतक,था वह कितना खास
गुरु की महिमा देखिए,दिखा दिया आकाश
बिना सहारे उड़ गये,लेकर ज्ञान प्रकाश
पर नाजुक थे और हम,थे नभ से अन्जान
उड़ते हमको देखकर,गुरु कहते शाबाश
शालिनी शर्मा
पहले तो सब लूट कर,हमें किया कंगाल
दे रहे फिर सांत्वना,ये उनकी है चाल
शालिनी शर्मा
मैं न ये चाहती कभी,हो जाये तू दूर |
और पास में भी रहे,मुझे नहीं मंजूर ||
तेरे बिन होता नहीं, मेरा कोई काम |
चांहू तेरे बिन करूं,अपने काम तमाम ||
शालिनी शर्मा
पुल पर खड़ी निहार रही है तकती राहें साजन की
पिया गये परदेश कमाने, हँसी खो गई आँगन की
शान्त लहर सा जीवन ठहरा,घर वीराना लगता है
लौट के साजन घर आ जाओ कसम तुम्हें है सावन की
शालिनी शर्मा
सावन की बूंदे गिरी,भीगे जल से पात
जंगल का निखरा बदन,सुन्दर दिखे प्रभात
दूर पपीहा गा रहा,झूले डलते डाल
सावन में नर नारियां,नाचे देकर ताल
भीगा भीगा है समा,रिमझिम पड़े फुहार
अमिया से डाली लदी,बाग हुआ गुलज़ार
बादल ने हँस कर कहा,बिजुरी मत कर शोर
इन्द्रधनुष को देखकर,नभ है भाव विभोर
राधा सखियों संग है,कृष्ण संग हैं ग्वाल
सावन का उल्लास है,करते खूब धमाल
बागो में झूले ड़ले,गाओ कजरी,ख्याल
नवल किशीरी झूलती,खुश हैं नटवर लाल
शालिनी शर्मा
जिन्दगी में कुछ भी आसान नहीं है
जीवन की मुश्किलों का समाधान नहीं है
जीवन संवारने की कोशिश बहुत करी
पर जिन्दगी का कोई निगहबान नहीं है
शालिनी शर्मा
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