नमस्कार दोस्तों फिर से हाजिर हूँ अपने कुछ दोहे लेकर
मेरे लिए ये खुशी की बात है कि मेरे दोहो को सम्मान मिला ये खुशी मैं परिवार और आपके साथ बांटना चाहती हूँ जीवन में खुशियाँ बहुत कम है इस लिए उन्हे बांटने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए जो मुझे और मेरी लेखनी को पसन्द करते हैं उन्हे खुशी अवश्य होगी
रक्षाबन्धन पर बहन, बांधे पावन तार।
तू भाई शत आयु हो, सुखी रहे परिवार।।
धन-दौलत न बने कभी, रिश्तों में दीवार।
दुनिया की हर चीज से, महंगा सच्चा प्यार।।
शुचि है, चाहें घर जलें,चाहे जले दुकान
भगदड़ चींख पुकार है जलते घर दालान।
किसे दिखाई दे रहा,मानवता का खून
जला दिये हैं भीड़ ने जिन्दा ही इन्सान
शालिनी वर्मा
आश्वासन सब दे रहे,पर माँ धरे न धीर।
दुख इतना विकराल है,सहन न होती पीर।।
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