शालिनी शर्मा की कविता
🇮🇳भारत का जग में बढ़े,मान और सम्मान |
जग में मेरे देश की, अलग रहे पहचान ||
माटी मेरे देश की, है सोने की खान |
और पहनती है सदा, हरियाला परिधान ||
स्वर्णिम वैभव से सजे,दिखे खेत खलियान |
दूध दही का बाल सब, करते हैं रसपान ||
अमन चैन की गन्ध से,शोभित है बागान |
रंग बिरंगे फूल का,सतरंगी गुलदान ||
शालिनी शर्मा
फूल कुचल दिखला रहे,जो ताकत पुरजोर |
वो बुजदिल सबसे अधिक,वो सबसे कमजोर ||
शालिनी शर्मा
कर्म बनाते भाग्य हैं, जो है तेरे हाथ
कर्म बिना तक़दीर भी,कभी न देती साथ॥
उधार से ज़िन्दगी चलाना
कभी उधारी न तुम चुकाना
कभी न वापस करो लिया धन
सदा बनाना नया बहाना
बुरा बहुत मतलबी जमाना
न खूबियां तुम मेरी भुलाना
कटा हुआ पेड़ रो रहा है
कहे न आरी कभी चलाना
शालिनी शर्मा
121 22 121 22
बहार से ज़िन्दगी सजाना
न आंसुओं से,कभी रुलाना
न शूल दुख के चुभे कदम में
सदा खुशी के सुमन बिछाना
न हो जुदा हम, न आँख रोये
जहान भर की खुशी दिलाना
बिना वजह के , न रूठना तुम
न मुंह फुलाना,न दिल दुखाना
अगर कभी जो मैं रूठ जाऊँ
सदा मुझे प्यार से मनाना
बिना तुम्हारे न जी सकूंगी
न दूर जा के मुझे सताना
शालिनी शर्मा
गाजियाबाद उप्र
बस आंखों पर पट्टी है और होठों पर हैं ताले,
न तो भ्रष्टाचार मिटा न मिटे कहीं घोटाले,
जहां खड़ा था देश वहीं पर खड़ा आज भी है वो,
आज भी हम भूखे सोते हैं मिलते नहीं निवाले ||
शालिनी शर्मा
देश तोड़ने की कोशिश जो, करते सुबह शाम,
ऐसे देशद्रोहियों के हो,सब कुचक्र नाकाम,
अमन चैन की खुश्बू से हो,हर्षित सभी गली,
भाईचारे का हर घर में,दिखे चित्र अविराम ||
शालिनी शर्मा
सुन्दर सपने तू सजा,बुरे ख्वाब को भूल |
धैर्य अभी न छोड़ना,समय नहीं अनुकूल ||
शालिनी शर्मा
दुश्मन से डर कर कभी,नहीं मानना हार |
जंग जीतने के लिए,रख खंजर तैयार ||
शालिनी शर्मा
जितना तेरे पास है, उसमें कर सन्तोष |
ज्यादा का लालच करे,खाली सुख के कोष ||
शालिनी शर्मा
कमल खिलाया है जहाँ, स्वीकारो आभार |
बोने को खुशियां यहाँ, माली है तैयार ||
शालिनी शर्मा
जब जीवन थकने लगे,हो जाओ जब पस्त |
बच्चो की मुस्कान को,देख होइए मस्त ||
शालिनी शर्मा
जितना पाना था मिला,अब बाकी क्या शेष |
सच्चे सुख की चाह है,मिट जायें सब क्लेष ||
शालिनी शर्मा
एक बार तो पूछते, सच्चे मन से हाल |
तुम्हे समर्पित कर दिया,अपना स्वर्णिम काल ||
शालिनी शर्मा
कटे पंख को देखकर,चिडिया बड़ी उदास |
मगर हौंसलो ने दिया,एक नया विश्वास |
आसमान उससे कहे,मत तू रोक उडा़न |
ऊँचाई को देखकर,मत कर बन्द प्रयास ||
शालिनी शर्मा
होली मन के द्वेष का,करती है संहार
होली समझाती हमें,कर रंगो से प्यार
होली के कई रंग है,प्रेम,खुशी,मुस्कान
रंग लगा तू गाल पर,मत गुब्बारा मार
शालिनी शर्मा
जिस रिश्ते में अब नहीं, अपनापन,सम्मान।
उस रिश्ते से कर रहे, खत्म जान पहचान ।।
शालिनी शर्मा
वो हरदम करते रहे,मेरा इस्तेमाल।
कभी नहीं वो पूछते,सुख का दुख का हाल
शालिनी शर्मा
मुंह लटकाकर होली खेले आज केजरीवाल
फ्री आइटम की दिल्ली में इस बार गली न दाल
जोगीरा तारा रा रा रा------
रेखा गुप्ता बनी है सीएम आप हो गये फेल
बुरी चीज है दारू भैया भिजवाती है जेल
जोगीरा तारा रा रा राम
फागुन महीना आया गाओ फाग आयी होरी
रंग अंग डार के करे है श्याम जोराजोरी
मुख पे मले गुलाल रंगे काया गोरी गोरी
भर पिचकारी मारे छिपती फिरे हैं छोरी
नियम और कानून का,पीट रहे जो ढोल
वही न्याय,कानून का,लगा रहे है़ं मोल
शालिनी शर्मा
डरने से अच्छा यही,सच क्या है तू बोल |
गलती को स्वीकार कर,सच कह मुख तो खोल ||
शालिनी शर्मा
कितना शोषण सह रहे,देखो जो दिन रात,
कोई तो सुनता यहाँ, बेचारों की बात ||
शालिनी शर्मा
करें प्रदर्शित किस तरह,अर्जुन अपना ज्ञान |
कहाँ मीन की आँख है,उसे नहीं जब भान ||
शालिनी शर्मा
कितना दुख होता उन्हे,काश समझते आप |
टुकड़ो में जब देखते,बच्चो को माँ बाप ||
शालिनी शर्मा
आँख भेदने के लिए,अर्जुन है तैयार |
पर मछली की सूचना,कुछ तो दे दरबार ||
शालिनी शर्मा
साथ तेरे कोई नहीं,है दुश्मन संसार |
फिर भी तुझको खोजने,नये सफलता द्वार ||
शालिनी शर्मा
तुझे ध्येय है साधना,नहीं मानना हार |
तुझे खोजने हैं यहाँ,नये सफलता द्वार ||
शालिनी शर्मा
बुरे दिनो में आपके,नहीं खड़ा जो साथ |
सगा नहीं वो आपका,छोड़ दीजिए हाथ ||
शालिनी शर्मा
साथ वो जब न दे रहा,है दुश्मन संसार |
किसी सहारे के लिए,मत तू उसे पुकार |
शालिनी शर्मा
1222 1222 1222 1222
किया वादा नहीं तुमने निभाया क्या किया जाए,
नहीं मजबूरियां क्या थी बताया,क्या किया जाए ||
तुम्हारे प्यार में तो हम जहाँ को छोड़ बैठे थे,
न जाने क्यों हमें तुमने मिटाया,क्या किया जाए ||
हमें तुमसे नहीं कोई गिला,सब भूल बैठे हैं,
किसी की साजिशों ने ही फंसाया,क्या किया जाए
बिना हालत को समझे कहें हम बेवफा कैसे,
पता है बेरुखी ने ये कराया,क्या किया जाए ||
गवाही दिल नहीं देता तुम्हें कैसे कहें कातिल,
सबूतो ने मगर मुजरिम बताया,क्या किया जाए ||
उसी दिल पर किया था वार खंजर से, जहां तुम थे,
तुम्हारी आंख में आंसू न आया, क्या किया जाए ||
कमी क्या थी हमारे प्यार में कहते कभी तो कुछ,
किसी क्यों गैर को अपना बनाया, क्या किया जाए
शालिनी शर्मा
जब भी सिर ऊँचा किया,दिया तभी सिर काट |
कहें झुका के सिर रहो,कहें ये तलवे चाट ||
मत कमजोर करना खुद को ए मीत
लक्ष्य साध कर तुम हांसिल करना जीत
गौरैया को ढ़ूढ़िये,खो गई है नादान |
छत सूनी,सूने पड़े,सब आँगन दालान |
कहाँ चिरइया खो गई,कोन बनाये नीड़,
चींचींचींचीं धुन सुने,तरस गये हैं कान ||
रात बीतती जा रही,पर चंदा खामोश |
प्रियतम के संग चाँदनी,देख हुए मदहोश ||
शालिनी शर्मा
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