गीतिका दोहे शालिनी शर्मा

ग्रह युद्ध न हो यहाँ, रखना इसका ध्यान,
एक सभी के पूर्वज,सब भारत सन्तान ||

 पहलगाम में क्यों हुई,इतनी भारी चूक |
पूछो,मत बैठो अभी,होकर गूंगे, मूक ||
                        शालिनी शर्मा


जीवित रहने के लिए,वृक्ष उगाओ यार
वृक्ष बाढ को रोकते,दें बारिष उपहार ||


सब्जी के छिलके कभी,मत कूड़े में डा़ल,
धरती में उनको दबा, बन जायेगी खाद

 कितने वृक्ष लगा रहे,खीचों नये नये पोज
पर्यावरण दिवस मने,डालो फोटो रोज,


 आँखे बन्द करोगे तो ठोकर अवश्य ही खाओगे,
गड्ढे देख नहीं पाये गर जो तो खाई में गिर जाओगे,
जिन्हे तबाह करना है तुमको वो तो साजिश रचेगे ही,ये तो तुम पर है तुम कैसे खुद को यहाँ बचाओगे ||
                 शालिनी शर्मा


जब पानी से ही अपनी सब मुश्किल हल हो जानी हैं,
फिर क्यों एटम बम,और राफेल से ये फौज सजानी हैं,
वो जब चाहें लहू की नदियां आके यहां बहाते हैं
हमें तो बस आँखों में दुख की बूंदे सदा बहानी हैं
                   शालिनी शर्मा 



 छुटकारा मिल जाना था


गीतिका
2122  2122 2122  212
घाव जो तुमने दिये हैं वो तुम्हे क्या याद हैं
आंसुओं को पी रहे हम आज तक बरबाद हैं

साजिशें कर यूं मिटाया है हमें सब खो दिया,
आँख में वीरानियां हैं और चुप फरियाद हैं ||

आग तुमने जो लगाई वो अभी तक जल रही,
बस धुआँ है बेबसी का,और गम,अवसाद हैं ||

कुछ बताया भी नहीं क्या दोष था क्यों दी सजा,
क्यों दिलो में नफरतें ये इस कदर आबाद हैं ||

जिन्दगी को मौत देकर मातमी धुन सुन रहे,
घर,गली,कूचे तुम्हारे क्या बचे आबाद हैं ||

खून बहता देखकर खुश हो रहे हो क्यों भला,
खून पर उनके,दिशायें सब दुखी नाशाद हैं ||
                          शालिनी शर्मा

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