ये मोदी वाला भारत है का भव्य लोकार्पण

शब्द सृजन संस्थान द्वारा मुझे राष्ट्र गौरव सम्मान  से सम्मानित किया गया



















किसी भी असमय होने वाली मौत पर दिल भर आता है सबको जीने का हक है चाहें वो जीव जन्तु हो या इन्सान 
कवि के पास सिर्फ कलम और शब्द होते हैं आक्रोश व्यक्त करने के लिए,क्यों सिर्फ नफरत ही नफरत भरी है लोगो में हर जिन्द
हर  जिन्दगी अनमोल  है
रूह काँप जाये ,ऐसी भयानक घटना उफ्फ

दोहे

कत्ल बांग्लादेश में,होते हैं अविराम |
कानूनो को तोड़कर,हिंसक हुई  अवाम ||

नयी नस्ल की सोच क्यों,विध्वंसक कर गोर |
देश पड़ोसी बढ़ चले,बरबादी  की ओर ||

साजिश है उस सोच की,जो जाहिल,गद्दार |
जो नफरत के बीज की,पोषक पालनहार ||
                     
भीड़ अराजक हो गई,और बढ़ा  उन्माद |
जला दिया फिर भीड़ ने,अफवाहों के बाद ||

आँख खोल कर देखिए,खतरनाक षडयन्त्र |
सिर तन से होगा जुदा,है जहरीला मन्त्र ||

कैसे इतनी क्रूरता,देता है ईमान |
भीड़ जला देती जहाँ,इक जीवित इन्सान ||

गूंज रही थी व्योम में,मानवता की चीख |
मांग रहा था जान की,जब वो दीपू भीख ||
 
भरे हुए औजार से,हर घर है तैयार |
हर काफिर से जन्म से,ही इनकी तकरार ||

हर हिन्दू को मार कर,चाहते हैं वो ताज |
अब भारत पर है नजर,करना चाहें राज ||

बन्द मदरसे कीजिए,पैदा करते  आग |
यहाँ जिहादी बन रहे,कहते यही सुराग ||
                      शालिनी शर्मा 



अगर चाहिए सुख,खुशी,दो सबको मुस्कान |
क्यों आपस में दुश्मनी ,क्यों सस्ती है जान ||

खाली हाथ आये यहाँ,जाना खाली हाथ |
धन,दौलत पद,शान तन,जायेगा न साथ

दीन दुखी के दुख हरो,ये देगें सम्मान |
रा ह गलत चुनकर कभी,मत बनना धनवान ||
                        शालिनी शर्मा

              
क्या न्यायालय भी यहाँ,सच के हुए ख़िलाफ़ |
निर्धन  किस  दर  जायेगा, पाने  को  इंसाफ||

क्या निर्धन को अब यहाँ,नहीं मिलेगा न्याय |
वो अर्जी देगा कहाँ ,कम हो जिसकी आय ||

यहाँ न्याय पर उठ रहे,अब तो खूब सवाल |
आम आदमी के लिए,सभी जगह हैं जाल ||

नेता,  अभिनेता  यहाँ, पहले  थे   बदनाम |
अब न्यायालय भी जुड़ा,जिस पर है इल्जाम ||

                         शालिनी शर्मा


                      
                2122 2122 2122 212 आधार छन्द गीतिका
क्या किया है जो छिपाना चाहते हैं वो यहाँ। 
किन सबूतों को मिटाना चाहते हैं वो यहाँ।।

वो नहीं है ठीक वैसे, लोग जैसा जानते। 
आइनो को क्यों हटाना चाहते हैं वो यहाँ।।

खूं किसी का कर दिया है,या किया कुछ तो गलत।
चींख कोई तो दबाना चाहते हैं वो यहाँ ।।

आ गये हैं घर में उनके,हाकिमों से भाग कर।
छिप-छिपा कुछ दिन बिताना चाहते हैं वो यहाँ।।

ये गवाही दे न पायें,जो अदालत जा रहे।
 रास्तों पर धन बिछाना चाहते हैं  वो यहाँ।। 
                       
दुश्मनी में है सभी जायज यहाँ, सच झूठ भी।
जो सबक हमको सिखाना  चाहते हैं वो यहाँ।।  

साजिशे भी झेलनी पड़ती, कभी इल्जाम भी।
झूठे केसो में फंसाना चाहते हैं वो यहाँ।।
                        शालिनी शर्मा

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