नमस्कार दोस्तों
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कोई रचना अच्छी और जग के हित की हो तो उसे सहेज लेना चाहिये। ऐसी ही रचना है जिसे संकलित करने का मन किया तो कर ली। लीजिये आप भी पढिये और जिन्दगी में लागू भी कीजिये। वृक्ष उगाइये ,जीवन बचाइये
धन्यवाद
मत काटो मत संहार करो
,
पेड़ों पर मत वार करो
,
होंगे नहीं पेड़ तो बोलो
होंगे नहीं पेड़ तो बोलो
,
हवा कहाँ से पाओगे।
हवा कहाँ से पाओगे।
बिना हवा के इस धरती पर,
जीवित ना रह पाओगे,
ना होंगे बादल औ बारिश,
जल विहीन हो जाओगे।
सावन - भादो की हरियाली,
कभी नहीं तुम पाओगे
,
सतरंगी सी इन्द्रधनुषिया,
सतरंगी सी इन्द्रधनुषिया,
बोलो कहाँ से लाओगे।
आम, पपीते, लीची, कटहल,
सभी फलों को तरसोगे,
बिन पानी के प्यास हलक की,
नहीं बुझा तुम पाओगे।
दूर - दूर तक पेड़ न होंगे,
छाया को तुम भटकोगे
,
बुल - बुल, कोयल, तोता - मैना,
बुल - बुल, कोयल, तोता - मैना,
किस्से में ही पाओगे।
जल जायेगी सारी धरती,
मरुस्थल बन जायेगी
,
ना होंगे तब खेती - बाड़ी,
ना होंगे तब खेती - बाड़ी,
अन्न कहाँ उपजाओगे।
अन्न और पानी के बिन तुम,
जीते जी मर जाओगे
,
मुझ को काट रहे हो जो तुम,
मुझ को काट रहे हो जो तुम,
आगे तुम पछताओगे।
अगर चाहते सुख से जीना
,
मुझ पर मत आरी चलवाओ,
मुझ पर मत आरी चलवाओ,
मन में इक संकल्प जगाओ
,
हर दिन तुम इक पेड़ लगाओ।
हर दिन तुम इक पेड़ लगाओ।
पेड़ तुम्हारे जीवन रक्षक
,
जल और जीवन के संरक्षक,
जल और जीवन के संरक्षक,
जग में सन्देश फैलाओ
,
पेड़ बचाओ, पेड़ बचाओ।
पेड़ बचाओ, पेड़ बचाओ।
राजेश शर्मा
खुशबू फूलों से जब जब आयी
मैं होले से मुस्कायी
पर तूने एक बार ना देखा
डाली मैं मुरझाई
"जब जब महसूस किया फलों की खुशबू को
लगा जिन्दगी महक रही है
पर आसमान से बरसती आग से
धरती दहक रही है"
गर्मी तभी कम होगी जब अधिक से
अधिक वृक्ष लगेगें
जिन्दगी में अपनेपन का पौधा लगाने से पहले जमीन
गर्मी तभी कम होगी जब अधिक से
अधिक वृक्ष लगेगें
जिन्दगी में अपनेपन का पौधा लगाने से पहले जमीन
परख लेना, हर एक मिटटी की फितरत में वफ़ा नही
होती
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