शालिनी शर्मा की कविता


HINDI POEMS

सुनने वाला कोई नहीं है      किससे करे पुकार
भीषण गर्मी झेल रहे हैं         हम पानी की मार
बूंद - बूंद को तरस रहे हैं        सूखे ताल तलैया
जल जीवन
 है बिना नीर जीवन कितना दुशवार 
शालिनी शर्मा
कहां कमी रह जाती है इन लड़को को समझाने में
कमी परवरिश की होती या सही मार्ग दिखलाने में
दुष्कर्मी को सजा मिले बस ये ही काफी नही यहां
लड़की की पीड़ा को समझा किसने यहां जमाने में
शालिनी शर्मा
सोच घिनौनी रखने वाला ही दुष्कर्मी होता है
लड़की को देवी का दर्जा बस समाज का धोखा है
नही सुरक्षित कही भी नारी घर में, ना बाजार में
जीवित लड़की मांस है बस जिसको गिद्दो ने नोचा है
शालिनी शर्मा

                       गीतिका 
हाथ  में  खंजर  वो  ले  हमको ड़राने  आ गये
साथ में  ले  के  मशाले  घर जलाने     आ गये

थी बड़ी खामोशियां पर फिर धुंआ उठने लगा
वो हवा  शोलो  को  दे  लपटे  बढ़ाने
आ  गये

आजतक उन पे यकीं था   पर यकीं जाता रहा
वो कहा करते थे सच अब सच छिपाने आ गये

थे बड़े हैरान हम ऐसा  भ्रमित  किसने  किया
प्यार के रिश्ते भुला जो  सब  मिटाने  आ  गये

था यकीं  जिनपे  हमारा वो  ड़ुबाने  लग  गये
जिनसे थी नफरत हमें पर वो बचाने आ गये
                                     शालिनी शर्मा






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