गीतिका
जंजीरो से बांध वो उनको ड़रा रहे तहखानो से
पर शहीद कब ड़रे, फिरंगी जुल्मी इन शैतानो से
पर शहीद कब ड़रे, फिरंगी जुल्मी इन शैतानो से
कही हौंसला टूटा भी तो माँ की पीर नजर आयी
टकराने फिर खड़े हो गये शाही राज घरानो से
टकराने फिर खड़े हो गये शाही राज घरानो से
हवा नही अनुकूल तो क्या कश्ती नही पार लगायेगें
मांझी को लड़ना होगा हर ऊँची लहर उड़ानो से
मांझी को लड़ना होगा हर ऊँची लहर उड़ानो से
इक फकीर भी पा सकता है मान और सम्मान यहां
घर का रूतबा नही बढ़ेगा धन ,दौलत, सामानो से
घर का रूतबा नही बढ़ेगा धन ,दौलत, सामानो से
सूरज को है अंहकार ए धरती तुझे जलाऊंगा
बूंद का ले खंजर जंगल जा भिड़े गर्म दरबानो से
बूंद का ले खंजर जंगल जा भिड़े गर्म दरबानो से
क्रोध में आ जाये धरती और एक जलजला आ जाये
क्या होगा ड़र लगता है इन ऊँचे महल, मकानो से
शालिनी शर्मा
क्या होगा ड़र लगता है इन ऊँचे महल, मकानो से
शालिनी शर्मा
2.
फटेहाल रोता है बचपन कहां गयी किलकारी
भूख से विचलित रोता बच्चा ढूंढ रहा महतारी
बिन रोटी के पेट भरे ना भूख मिटेगी कैसे
इसीलिये तो काम खोजने गयी है मां दुखियारी
शालिनी शर्मा
भूख से विचलित रोता बच्चा ढूंढ रहा महतारी
बिन रोटी के पेट भरे ना भूख मिटेगी कैसे
इसीलिये तो काम खोजने गयी है मां दुखियारी
शालिनी शर्मा
3.
जनता ने चुन लिया उन्हे जिनको भी चुनना था
वो धुन रहे है खोपड़ी सिर जिनको धुनना था
वो धुन रहे है खोपड़ी सिर जिनको धुनना था
क्यों हारे क्या कमी रही विचार कीजिये
कैसे फंसे शिकार जाल पहले बुनना था
कैसे फंसे शिकार जाल पहले बुनना था
क्या चाहिये पुकार उनकी सुनते तो जरा
क्या हैं जरूरते तुम्हे पहले ये सुनना था
क्या हैं जरूरते तुम्हे पहले ये सुनना था
उनसे मिलाया हाथ ना कुछ फायदा हुआ
सांझा था चूल्हा बैंगन अधकच्चा भुनना था
सांझा था चूल्हा बैंगन अधकच्चा भुनना था
वो छेद की छलनी में पानी रोकते रहे
बोये बबूल थे तो आम कैसे उगना था
शालिनी शर्मा
बोये बबूल थे तो आम कैसे उगना था
शालिनी शर्मा
4.
हेरा फेरी के चक्कर में बीती उम्र तमाम
सीधी राहो पे चल के अब बने ना कोई काम
सही सोच रखने वालो की पूछ नही है कोई
हेर फेर करने वालो को दुनिया करे प्रणाम
शालिनी शर्मा
सीधी राहो पे चल के अब बने ना कोई काम
सही सोच रखने वालो की पूछ नही है कोई
हेर फेर करने वालो को दुनिया करे प्रणाम
शालिनी शर्मा
5.
विश्व पर्यावरण दिवस
आज मिले एक पेड़ से पूछा काहे रोये
बोला जब आरी चले दर्द बड़ा ही होये
शालिनी शर्मा
बोला जब आरी चले दर्द बड़ा ही होये
शालिनी शर्मा
6.
मंत्री पद की ले उठाय शपथ चले नेता जी काज सम्भालन को
गृहमन्त्री का भार दिया शाह को अपराधो में रोक लगावन को
जब बात विदेश की आवत है जयशंकर हैं ड्यूटी निभावन को
दिया सीतारमण को खजाना हैं राज डिफेंस का भार उठावन को
शालिनी शर्मा
जब बात विदेश की आवत है जयशंकर हैं ड्यूटी निभावन को
दिया सीतारमण को खजाना हैं राज डिफेंस का भार उठावन को
शालिनी शर्मा
7.
शपथ उठा कर देश का सब ऊँचा करे मकाम
निष्ठा,महनत और लगन से पूर्ण करें हर काम
महनत का फल मिलता है मन में रखे सन्तोष
रोज यही सन्देश वो देते मोदी जिनका नाम
शालिनी शर्मा
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