बैसाखी

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HINDI POEMS
दोहे
 मोदी जी के राज में,महंगी है हर चीज
चुना आपने फिर इन्हे,ये न सही तजवीज

रोजगार तो है नही,सस्ता नही इलाज
बिना दवाई मर रहे, कितने यहां मरीज

भूख मिटाने के लिए,रोटी ढ़ूढ़े लोग
चिथड़ो से तन ढ़क रहे,तन पर नही कमीज

दाना चुगने के लिए,विहग न आते द्वार
चीं चीं के अब शोर से,सूनी है दहलीज

महनत जो करते नही,फरमाते आराम
तकदीरो को कोसते, पहन लिए ताबीज

दोष  हमारा  मानिए,   युवा  हुए   पथभृष्ट
अदब ,शर्म तहजीब गुम ,बिल्कुल नही तमीज
                                शालिनी शर्मा


2122  2122  2122  212
द्वेष जो मन में भरा था वो घटाया आज भी
हाथ हमने दोस्ती का फिर बढाया आज भी

लो सुनो हम आ गये अपनी बताने मुश्किलें
झोपड़ी को तोड़ शहरो को सजाया आज भी

भूख से व्याकुल रहे,पानी नही हमको मिला
जिन्दगी का दिन,जहर पीकर बिताया आज भी

लो चुनावो का वही मौसम सुहाना आ गया
जीत कर वो क्या हमें देगें बताया आज भी

वो बताते हैं सुखी सबको,मिटी कंगालियां
सिर्फ नेताओं का सुख आकर दिखाया आज भी

हो रहा है रोजगारो का सृजन मत हो दुखी
ये कहा तो खूब फिर हमको हंसाया आज भी

फिर जला कर आस का दीपक ,दुबारा की दुआ
जिन्दगी को खुशनुमा फिर से बनाया आज भी
                              शालिनी शर्मा



2122   2122  2122   2122
नींद लो भरपूर सारे गम,दुखो का नींद हल है
प्यार से जीवन गुजारो,ये सबक सबसे सरल है

जब  सभी  से दोस्ती हो ,तब बचेगी दुश्मनी क्यों
नफरतों को कम करो, इसकी जरूरत आजकल है

साथ जायेगा नही कुछ,हाथ खाली ही चलोगे
छोड़ सब होगी विदायी,बात ये बिल्कुल अटल है

जो सदा सोचे, किसी का हो भला, वो मान पाता
आज जिसका है यहाँ सम्मान, वो ही तो सफल है

ज्ञान बढ़़ता बांटने से, ये किसी ने सच कहा है
ज्ञान को कोई चुरा ले, न किसी में इतना बल है

जब गले में ड़ाल के माला हुआ सम्मान तेरा
याद में इनको सहेजो,कीमती ये खास पल है
                                  शालिनी शर्मा

 मोदी जी के राज में नींबू टशन दिखाय
धनवानो के कंठ लगे,करे रंक को बाय
नीबू पानी  पी  रहे,  देखो  धन्ना   सेठ
रिक्शे वाला दूर से, देख राल टपकाय
                      शालिनी शर्मा

 मिर्ची के भी दाम बढ़ गये और भी हो गई तीखी
मिर्च चटपटा स्वाद दे फिर क्या रहे जरूरत घी की
बन्द हो गया सूखी रोटी, प्याज मिर्च संग खाना
बिना मिर्च के सब्जी खाते निर्धन फीकी फीकी
                        शालिनी शर्मा


भाग्य विधाता खुद हो अपने, खुद अपनी तकदीर लिखो
तूफानों   का   करो  सामना,  बचने  की  तदबीर  लिखो
तुम्हे सफलता पानी ही है,  किस  विधि ये मुमकिन होगा
खोजो  भाग्य कलम  को, उसमें  रंक नही जागीर लिखो
                                शालिनी शर्मा



 महके जीवन में सदा,हंसी खुशी के फूल
जीवन की राहो में ना हो पत्थर,कंकड़ शूल
घर में हो सुख शान्ति हो आदर सम्मान
 हर्ष और आनन्द हो कुछ ना हो प्रतिकूल

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ड़र से हैं भयभीत देखिए ये छोटे प्यारे बच्चे
भाई धीरज देता है धागे राखी के नही कच्चे
हुई सुरक्षित लगा बहन को चिपक गई सीने से वो
बच्चे ये मासूम है कितने और ये हैं कितने सच्चे
                       शालिनी शर्मा


 भटक रहे हम अंधियारों में कहाँ उजाला दिखता है
श्वेत वस्त्र तन पर पहने हैं पर मन काला दिखता है

धर्म और पाखण्ड़ं में अन्तर करना मुश्किल होता है
पाखण्ड़ी ही यहाँ हर समय जपता माला दिखता है

आपके पैरो में पत्थर न चुभे वो सड़क बनाता है
गर्म धूप में बिन चप्पल वो चला,क्या छाला दिखता है 

किसी खबर की सच्चाई को कहाँ दिखाया जाता है
खबर चटपटी बना दी जाती मिर्च मसाला दिखता है

न पीड़ित के आँसू दिखते न घावों का दर्द दिखे
यहां घाव पर नमक ड़ाल कर हंसने वाला दिखता है

कुछ मकड़ी बुनती है जाले षड़़यन्त्रो के साजिश के
जले शहर और गली मोहल्लो में वो जाला दिखता है
                          शालिनी शर्मा



भारत मां के उन वीरो को नमन जो घर नही आते हैं
देश की रक्षा में जो अपना सब अर्पण कर जाते हैं

देश सुरक्षा की खातिर ये वीर जान दे देते हैं
नमन उन्हे है जो शहीद हो अपना लहू बहाते हैं

आसमान हो या धरती हो या हो जल की गहराई
जल में,थल मेंऔर वायु में सैनिक शौर्य दिखाते हैं

लेह,सियाचिन के बर्फीले तूफानो को सहते हैं
और तिरंगा बर्फ की ऊंची चोटी पर फहराते हैं

दुश्मन की ललकार पे सीना ताने आगे बढ़ते हैं
नही दिखाते पीठ वो गोली सीने पर ही खाते हैं

अगर आँख दिखलाये दुश्मन, या धोखे से वार करे
तब दुश्मन के घर घुस जाते हैं और उसे मिटाते हैं
                          शालिनी शर्मा


 बैसाखी
खेतो में फसलें लहराई
हरियाली हर और है छायी
हर्षित ढोल बजाते लोग
नाच नाच के गाते लोग
आयी बैसाखी आयी

गावों में सज गये हैं मेले
बच्चे झूलो पर खुश खेले
कहीं चूड़ियाँ खन खन बोले
गोरी न घूंघट पट खोले
चले मस्त पवन पुरवाई
आयी बैसाखी आयी

पनहारन का मन ड़ोले
बैलो की घन्टी टन टन बोले
बैल गाड़ी खाये हिचकोले
मेले में हलचल है भारी
खुश होकर झूमें नर नारी
बांटे सब लोग मिठाई
आयी बैसाखी आयी

कोयल गीत मधुर गाती है
बुलबुल फुदक के इठलाती है
ट्यूबवैल का बहता पानी
खेतो को दे रहा जवानी
प्यासी भू हर्षायी
आयी बैसाखी आयी
                    शालिनी शर्मा

पास मेरे कुछ न बचा,मैं हूँ खाली हाथ 
तेरे होते भी यहाँ, क्यों  मैं हुआ अनाथ
वापस वो मैं पा सकूं,जो खोया सम्मान
नामुमकिन कुछ भी नही,प्रभु जो तू है साथ
                              शालिनी शर्मा

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