हंसना जरूरी है Indian culture

नमस्कार दोस्तो
मैं शालिनी शर्मा
फिर से हाजिर हूँ आपके सामने अपने मुक्तक लेकर आपका इतना प्यार मिलता है धन्य हूँ मैं और आपकी आभारी भी हूँ कि आप मुझे पढ़ने के लिए  अपना कीमती वक्त निकालते हैं



मुक्तक
मोगरे  के  फूल की  खुश्बू  यहां हर  ओर है
श्वेत फूलों से  सजी लो ये  सुबह की  भोर है
देखकर फूलों को मन में ताजगी सी भर गई 
ये प्रकृति की छटा  कितनी अजी चितचोर है
                                 शालिनी शर्मा 



शालिनी शर्मा की कविता
2122  2122  2122  212
जिन्दगी में सब मिला अब क्या नही हासिल मुझे
राह में  दुश्वारियां थी, पर  मिली मन्जिल मुझे
पा लिया वो जो मेरा था ख्वाब, बरसो से कभी
आप भी अब मान ही लो आज से काबिल मुझे
                       शालिनी शर्मा
दोहा
मात पिता जिनको दिखे,घर का एक कबाड़
वो  अपनी   औलाद  से,  कैसे  चाहें     लाड़
                                    शालिनी शर्मा
                 रचना कैसी लगी कमेन्ट करके जरूर बताइयेगा  आपके सुन्दर कमेन्ट ही मेरी लेखनी को प्रोत्साहित करते हैं जीवन के हर रंग पर ढंग पर लिखने की कोशिश करती हूँ अगर आप किसी खास विषय पर पढ़ना चाहते हैं तो कमेन्ट करके बताइयेगा

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