शालिनी शर्मा की कविता
नमस्कार दोस्तो आपके समक्ष फिर हाजिर हूँ अपने मन के भाव लेकर जिन्दगी में कुछ भी नया होता है तो फोटो और कविता के माध्यम से आपसे जुडती हूँ और अगर बात किसी मिले सम्मान की हो तो वो आपको बताना लाजमी हो जाता है
कल 10.12.2023 को इन्ड़िया इन्टरनैशनल सैन्टर दिल्ली में पर्पल पेन संस्था के अष्टम वार्षिक उत्सव 'जश्न ए अल्फ़ाज़' का आयोजन किया गया मंच का शानदार संचालन किया प्रसिद्ध कवियत्री ममता लड़िवाल जी ने और सरस्वती वंदना की कवियत्री श्रीमती पूजा श्रीवास्तव जी ने।कार्यक्रम कीअध्यक्षता की उस्ताद शायर जनाब सीमाब सुल्तानपुरी जी ने, मुख्य अतिथि रहे श्री अतुल प्रभाकर जी, विशिष्ट अतिथि थें विनय शुक्ल 'विनम्र' जी एवं प्रो. रहमान मुसव्विर जी ।
संस्था द्वारा प्रकाशित पत्रिका 'साहित्य सेतु' का लोकार्पण भी भव्य अंदाज में हुआ
इस अवसर पर साहित्य, कला, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य से जुड़े लोगों को सम्मानित किया गया, मुझे भी सम्मानित किया गया उदित सितारा सम्मान देकर साथ ही बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ इस भव्य, ख़ूबसूरत एवं व्यवस्थित आयोजन के लिए पर्पल पेन की संस्थापक अध्यक्ष वसुधा कनुप्रिया जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ
दोहा
इक गुरूर सा हो रहा,मिला बहुत सम्मान
वसुधा जी को है नमन,दिया जिन्होने मान
शालिनी शर्मा
वृक्षों की कीमत यहां कैसे, समझे लोग
काट वृक्ष जो कर रहे, अंधाधुंध प्रयोग
शालिनी शर्मा
बेटी घर की चांदनी,बेटी शीतल छांव
बेटी बिन घर इस तरह,बिन मांझी ज्यों नांव
शालिनी शर्मा
तलवारो को छोड़ कर, फूल सभी को बांट
नफरत जो फैला रही, उन बेलो को छांट
शालिनी शर्मा
दोहे
1
करें नियंत्रण वचन पर,सोच समझ कर बोल,
कहने से पहले सदा,लें शब्दो को तोल ।
2
जैसे तू अनमोल है,कर खुद को यूँ पेश,
अपनी कीमत जान ले,है तू सदा विशेष।
3
जो भी तेरे पास है,उसमें कर सन्तोष ,
कर विनती प्रभु से यही,भरें हर्ष का कोष।
4
खुद से ही तू प्यार कर,खुद का कर सम्मान,
अपनी ताकत को परख,अपने को पहचान।
5
जीवन में मिलता कहाँ, होती जिसकी चाह,
संघर्षों से हारना ,सबसे बड़ा गुनाह।
शालिनी शर्मा
वार्षिक उत्सव का शुभारंभ सरस्वती पूजन से हुआ। पर्पल पेन की संस्थापक-अध्यक्ष वसुधा ‘कनुप्रिया’ ने मंचासीन अतिथिगण का स्वागत अंगवस्त्र, माला, पुष्पगुच्छ और ‘साहित्य भूषण सम्मान’ मोमेंट से किया। अन्य संस्थाओं के पदाधिकारियों — रामकिशोर उपाध्याय, सुरेश पल वर्मा जसला, ओम प्रकाश प्रजापति, अनिल मीत, ओम प्रकाश शुक्ल, ममता लड़ीवाल, गुरचरण मेहता रजत, जगदीश मीणा, मनोज कामदेव, असलम बेताब, योगेश त्रिपाठी, लतांत प्रसून और कांता रॉय का अंगवस्त्र द्वारा अभिनंदन किया गया।
तत्पश्चात पर्पल पेन की ‘संस्थापक-अध्यक्ष’ वसुधा ‘कनुप्रिया’ ने अपने स्वागत उद्बोधन में समूह की प्रमुख गतिविधियों और आठ वर्ष की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संस्था अब तक लगभग 100 ज़मीनी कार्यक्रम कर चुकी है और पिछले आठ वर्षों में दो सौ के करीब सम्मान वितरित किये जा चुके हैं। जिनके ट्रॉफी/मेमेंटो प्रदान किये गए। समूह द्वारा छह साझा काव्य संग्रह प्रकाशित किये जा चुके हैं जिनमें से तीन नवांकुरों के प्रोत्साहन हेतु निशुल्क प्रकाशित किये गए। पर्पल पेन संस्था गरीब वर्ग को कपडे, कम्बल, बच्चों को खिलोने, भोजन, आदि समय-समय पर बांटता है। साथ ही देश सेवा के संकल्प के अंतर्गत फौजियों को राखियां भेजी जाती हैं, राष्ट्रीय पर्वों पर तिरंगे बैज बांटे जा रहे हैं। पर्पल पेन द्वारा अष्टम वार्षिक उत्सव के उपलक्ष्य में प्रकाशित स्मारिका ‘साहित्य सेतु’ का लोकार्पण गणमान्य अतिथिगण द्वारा किया गया। कुछ श्रेणियों के सम्मान लोकार्पण के पश्चात प्रदान किये गए। बहुभाषी काव्य गोष्ठी ‘जश्न-ए-अल्फ़ाज़’ कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण रही। इस गोष्ठी में हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, अवधी, भोजपुरी, सिरायकी, ब्रज भाषा सहित अंग्रेज़ी कविताओं का श्रेष्ठ रचनापाठ हुआ। अपने कविता पाठ से मंचासीन अतिथिगण ने भी कार्यक्रम को और गरिमा प्रदान की। मनोज मिश्रा कप्तान, अरविन्द असर, अश्वनी कुमार, वेदांश गोस्वामी, मधुमिता, विनय विक्रम सिंह, योगेश कौशिक, गुरचरण मेहता रजत, राजीव उपाध्याय कामिल, कांता रॉय, भूपेंद्र कुमार, वंदना मोदी गोयल तथा अंजू खरबंदा को पर्पल पेन ‘साहित्य साधक सम्मान’ 2023 प्रदान किया गया। गीता भाटिया, सुरेन्द्र पाल वैद्य, सुश्री वीना तँवर, रजनी रामदेव, डाॅ. कविता सूद और अश्विनी कुमार को पर्पल पेन पटल पर सक्रिय लेखन के लिए वर्ष 2023 का ‘साहित्य सेवी सम्मान’ प्रदान किया गया। सतत संचालन के लिए सुश्री मीनाक्षी भटनागर को ‘साहित्य संचेतक सम्मान’ तथा शालिनी शर्मा को पर्पल पेन ‘उदित सितारा सम्मान’ 2023 भी दिए गए। कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए) श्री सुरेशपाल वर्मा जसाला को ‘कला भूषण सम्मान’ तथा साहित्य की दीर्घकालीन सेवा के लिए वरिष्ठ साहित्यकारों — डाॅ. रंजना अग्रवाल, श्री अनिल वर्मा मीत, श्री रामकिशोर उपाध्याय एवं सुश्री रेखा जोशी को पर्पल पेन ‘साहित्य गौरव सम्मान’ से अलंकृत किया गया। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर रहमान मुसव्विर, श्री विनय विनम्र, मुख्य अतिथि श्री अतुल प्रभाकर सहित आयोजन के अध्यक्ष श्री सीमाब सुल्तानपुरी ने पर्पल पेन समूह को अष्टम वार्षिक उत्सव पर बधाई और शुभकामना प्रेषित करते हुए वसुधा ‘कनुप्रिया’ के प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा की। सभी ने एक से बढ़कर एक कविताओं का पाठ कर आयोजन को ऊंचाई तक पहुंचाया। कार्यक्रम का कुशल सञ्चालन सुश्री ममता लड़ीवाल ने किया। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए पर्पल पेन संस्था की संस्थापक-अध्यक्ष वसुधा कनुप्रिया ने आशा जताई कि भविष्य में भी समूह साहित्य, समाज और देश सेवा के कार्य में जुटा रहेगा। सभी अतिथिगण के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई की आने वाले समय में भी इन सभी का साथ बना रहेगा।
मुक्तक
मेरे लिए तो आज भी वो एक ख्वाब है
मैं हूं जमीन कैसे मिलूं वो आफताब है
देखा नहीं है और न उससे मिली हूं मैं
कहते हैं उसे लोग के वो लाजवाब है
शालिनी शर्मा
आयोजन दमदार हो, और मिले सम्मान
सब कवियों का बस यही,होता है अरमान
कृपा शारदे की हुई,मिला सुखद ईनाम
रचनाकारो को मिली,एक नयी पहचान
शालिनी शर्मा
दोहे
खुशियां दस्तक दे रही,उसके घर के द्वार
गम के बादल छट गये,हुई हँसी बौछार
दूर हुई दुश्वारियां, जीत में बदली हार
मन्जिल पाने के उसे,दिखते हैं आसार
उस पर जो हँसते रहे, अपनी देखें हार
आज किसी सम्मान का,हुआ वही हकदार
देखो वो ही पूजते, करते वो सत्कार
जिन लोगों के बीच से, उसे मिली दुत्कार
प्रीत मिली सम्मान भी, देता अब संसार
धूल जमीं की शीश तक,पहुंच गई इस बार
दुनिया ने जितना किया, उस पर यहां प्रहार
उतना ही निखरा यहाँ, उसका ये किरदार
शीश उठा कर देख लो,उसके कद का माप
कितने छोटे लग रहे, उसके आगे आप
शालिनी शर्मा
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