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दीपक जलाइये

गज़ल

दुनिया पैसे की तलबगार हो गयी

नयी कविता

गजल शालिनी शर्मा

फसल बचानी है

सुबह की कविता

शालिनी शर्मा

गज़ल ऐसी अना भी क्या

समुन्दर